
कोटा के जेके लोन अस्पताल में एफबीएनसी ए-बी वार्ड में ऑक्सीजन सिलेण्डर खत्म होने पर पर बुधवार देर शाम को जान सांसत में आ गई।
कोटा . उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेण्डर नहीं बदलने के कारण 32 बच्चों की मौतों से शहर के सरकारी अस्पतालों ने शायद कोई सबक नहीं सीखा। कोटा के जेके लोन अस्पताल में एफबीएनसी ए-बी वार्ड में ऑक्सीजन सिलेण्डर खत्म होने पर पर बुधवार देर शाम को जान सांसत में आ गई। ऐसा समय पर सिलेंडर नहीं बदलने के कारण दो नवजात बच्चों की जान सांसत में गई।
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अस्पताल सूत्रों ने बताया कि केशवपुरा निवासी ज्योति पत्नी देवीशंकर एडवोकेट को बुधवार को सीजेरियन ऑपरेशन पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ज्योति ने पुत्र को जन्म दिया, लेकिन सांस में परेशानी होने के कारण नवजात को एफबीएनसी ए-बी वार्ड में वार्मर में रखा। यहां बच्चे को ऑक्सीजन दी जा रही थी। जिस वार्मर में बच्चे को रखा गया था, वहां पहले से ही एक बच्चे को भी ऑक्सीजन दी जा रही थी।
करीब शाम 7 बजे सिलेण्डर खत्म हो गया। वहां दोनों बच्चों की सांसें तेज होने लगी। इसी बीच परिजन वार्ड में बच्चे को देखने के लिए पहुंच गए। बच्चों की सांसे उखड़ते देख सकते में आ गए। परिजनों ने चिल्लाकर ड्यूटी पर कार्यरत नर्सिंगकर्मियों को बुलाया। उन्हें सिलेण्डर खत्म होने की बात कही। नर्सिंगकर्मी दौड़कर सिलेण्डर लेकर आए। करीब 15 मिनट बाद सिलेण्डर बदला गया।
यहां भी खत्म हो गया था
जिस समय प्रसूता को ऑपरेशन थियेटर में लेकर गए थे। उस समय वहां भी सिलेण्डर खत्म होने की बात सामने आई है, लेकिन नर्सिंगकर्मियों ने तुरंत सिलेण्डर मंगवाकर दूसरा लगाया।
एक वार्मर पर तीन बच्चे
इस वार्ड में बुधवार को 26 वार्मर पर करीब 92 बच्चे थे। हर वार्मर पर तीन- तीन बच्चे थे, लेकिन इन बच्चों के बीच दो ही नर्सिंगकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है। यदि एक साथ दो बच्चों की हालत सीरियस हो जाए और इसी बीच किसी बच्चे को ऑक्सीजन सिलेण्डर खत्म हो जाए, नवजात की जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
इस अस्पताल में आईसीयू समेत अन्य जगहों पर पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई होती है, लेकिन इस वार्ड में नवजात बच्चों के ऑक्सीजन सिलेण्डर से ऑक्सीजन दी जाती है। यहां बच्चों को ऑक्सीजन के छोटे सिलेण्डर लगाए जाते हैं।
जेके लोन अस्पताल गोदाम प्रभारी मतीन का कहना है कि अस्पताल में एफबीएनसी ए-बी वार्ड में शाम को ऑक्सीजन सिलेण्डर खत्म होने पर सिलेण्डर नहीं बदलने का मामला सामने आया है, लेकिन कुछ ही समय में सिलेण्डर बदल दिए गए है।
जेके लोन अस्पताल अधीक्षक डॉ. आर.के. गुलाटी का कहना है कि वार्ड में नवजात के सिलेण्डर खत्म होने पर नहीं बदलने की बात सामने आई है। इस मामले को दिखवाएंगे और नर्सिंगकर्मियों की संख्या भी बढ़ाएंगे।
Published on:
21 Sept 2017 08:27 pm
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