
कोटा जंक्शन
स्वच्छता और यात्री सुविधाओं के लिए खास पहचान बनाने वाले ए-१ श्रेणी के कोटा जंक्शन पर अब बदहाली दिखने लगी है। रेलवे की ओर से पूरे देश में स्वच्छता पखवाड़ा चलाया जा रहा है, लेकिन कोटा जंक्शन पर सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। यहां प्लेटफॉर्म तो चकाचक है, लेकिन बुकिंग कार्यालय के पास वाले प्रवेश द्वार के पास गंदगी से सड़ांध उठ रही है। दिनभर पिग पसरे रहते हैं। स्वच्छता अभियान के आगाज के दिन अधिकारियों ने सर्कुलेटिंग एरिया में सफाई करते हुए फोटो खिंचवाई थी, लेकिन हकीकत में सर्कुलेटिंग एरिया की नालियां अभी तक सड़ रही हैं।
उद्घाटन का इंतजार, यात्री हो रहे परेशान
बुकिंग कार्यालय के पास वीआईपी गेट की तर्ज पर नया प्रवेश द्वार और हॉल का निर्माण किया गया है, लेकिन तीन माह से यह उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। अभी तक इसे खोला नहीं गया है, इससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। लोहे की चद्दरें लगाकर रास्ता रोक रखा है। इस हॉल में भी स्वचालित टिकट मशीनों के पास गंदगी का आलम है। यात्री सुदेश प्रकाश ने बताया कि रेलवे बोर्ड अध्यक्ष ने रेलवे अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे चकाचौंध और दिखावे से दूर रहे हैं, लेकिन यहां के अधिकारी किसी बड़े अफसर के दौरे के इंतजार में नए प्रवेश द्वार का उद्घाटन नहीं कर रहे, यह रेल यात्रियों से खिलवाड़ है।
ट्रेन से उतरे तो अच्छा लगा
त्रिवेन्द्रम राजधानी एक्सप्रेस में सफर कर आए यात्री वेदप्रकाश ने बताया कि ट्रेन से उतरे तो प्लेटफॉर्म चकाचक दिखा, लेकिन अनारक्षित बुकिंग कार्यालय के पास सूअरों को जमावड़ा देखकर दु:ख हुआ। कोटा स्टेशन को स्वच्छ रखने में अब कोताही हो रही है। प्लेटफॉर्म-१ एक के बाहर लगेज उतारने के लिए बनाया गया गेट हमेशा खुला रहता है। इस कारण यहां से बिना टिकट यात्री आसानी से बाहर निकल जाते हैं। यहां से आने पर कोई रोक-टोक नहीं है।
एक नजर कोटा जंक्शन पर
17000 के करीब यात्री हर रोज यहां से सफर शुरू करते हैं। 16
से 18 हजार यात्रियों का सफर राेज कोटा जंक्शन पर खत्म होता है। 76 औसत मेल और 46 औसत पैसेंजर ट्रेने गुजरती हैं। इतना ट्रैफिक होने के बाद भी जंक्शन की देख रेख में हो रही लापरवाही इसकी साख पर कालिख लगा रही है।
अवैध पार्किंग, दुर्घटना का खतरा
अनारक्षित टिकट बुकिंग कार्यालय के पास नो-पार्किंग जोन में अवैध रूप से पार्किंग चल रही है। यात्री प्रमोद त्रिपाठी ने बताया कि यहां नो पार्किंग का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन वाणिज्य विभाग के कार्मिकों सह पर वाहन खड़े होते हैं। नए प्रवेश द्वार के पास कम गहराई का एक बोर भी है। इसमें छोटे बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है। स्टेशन की व्यवस्थाओं के लिए स्टेशन निदेशक, वाणिज्य स्टेशन अधीक्षक, सीनियर डीसीएम, एडीआरएम और डीआरएम जिम्मेदार हैं। ये अधिकारी यहां समय-समय पर दौरा भी करते हैं।
Updated on:
22 Sept 2017 05:32 pm
Published on:
22 Sept 2017 01:21 pm
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