
#kotadussehramela2017
कोटा . शिक्षानगरी की शान 124वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का गुरुवार को ध्वजारोहण और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ उत्साह और उमंग के बीच शानदार आगाज हुआ। नए अंदाज में मेले का उद्घाटन समारोह हुआ। गोरबंद की रंगारंग प्रस्तुतियों ने लोगों को लुभाया। राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखरी। बड़ी संख्या में शहरवासी इस समारोह के साक्षी बने। मेले में दोपहर को किशोरपुरा स्थित रियासतकालीन आशापुरा माता मंदिर में दुर्गापूजन कर माता को चुनरी चढ़ाई गई। 16 अक्टूबर तक चलने वाले इस मेले की मुख्य अतिथि कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने ध्वजरोहण कर विधिवत घोषणा की। शहनाई वादन व कोटावासियों की करतल तालियों की ध्वनि से श्रीराम रंगमंच गूंजता रहा।
सैनी ने कहा कि ये मेला नहीं कोटा की संस्कृति है। ये मेला देश में अलग पहचान रखता है। अध्यक्षता कर रहे सांसद ओम बिरला ने कहा कि मेले सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जरिया रहे हैं। पहले रावण मारने के बाद तीन दिन तक लोग यह ठहरते थे और अहंकार को मारते थे। अब समय बदल गया है तो मेले का स्वरूप भी बदला है। बिरला ने कहा कि कोटा जैसा विशाल दशहरा मैदान देश में कहीं नहीं है। आगामी समय में कोटा का दशहरा मेला नई पहचान कायम करेगा।
कार्यक्रम में विधायक भवानी सिंह राजावत, चंद्रकांता मेघवाल, विद्याशंकर नंदवाना, नगर विकास न्यास के अध्यक्ष आर.के. मेहता, शहर भाजपा अध्यक्ष हेमंत विजय, देहात अध्यक्ष जयवीर सिंह और नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। कार्यक्रम निर्धारित समय से एक घंटे देरी से शुरू हुआ और आधा घंटे स्वागत का सिलसिला चला। इसके बाद महापौर ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आज श्रीरामरंगमंच की शोभा देखकर खुशी हो रही है। दशहरा मैदान में निर्माण कार्य के चलते शहर के लोगों में मेले के आयोजन को लेकर संशय था, लेकिन निगम की टीम के प्रयासों से मेला परंपरागत स्थान पर भर रहा है। इस मौके पर मेला अधिकारी नरेश मालव, आयुक्त डॉ. विक्रम जिंदल और उपायुक्त राजेश डागा भी उपस्थित रहे।
Updated on:
22 Sept 2017 12:14 am
Published on:
21 Sept 2017 11:14 pm
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