
Electricity for irrigation at night in Rajasthan is Fatality for Farmers
पिछले एक सप्ताह से कोटा ही नहीं पूरे हाड़ौती अंचल में मौसम पलट गया है। सर्दी पूरे शबाब पर है। तापमापी का पारा 10 डिग्री से नीचे उतर चुका है। ऐसी सर्द रातों में घर से बाहर निकलना तो दूर, बिस्तर छोडऩे की हिम्मत नहीं होती। लेकिन, हमारा अन्नदाता राजस्थान का किसान सबकुछ छोड़ कर जमा देने वाली ठंड के बीच खेत में पानी के बीच खड़ा होकर फसल सींचता दिखाई दे रहा है।
राजस्थान में किसानों को सिंचाई के लिए थ्री फेज बिजली देने के लिए 4 ब्लॉक यानि समय तय हैं। इसमें दो ब्लॉक दिन के और दो रात के हैं। कुल 24 घंटों में से 13 घंटे बिजली दी जा रही है। इसमें दिन में 6 घंटे और रात में 7 घंटे बिजली आती है। दिन में मिलने वाली बिजली भी दो हिस्सों में मिलती है। जिसके चलते किसानों को रात में ठिठुरती ठंड के बावजूद मजबूरन खेतों की सिचाई करनी पड़ रही है।
ठिठुरता धरतीपुत्र, जान की नहीं कोई कीमत
कोटा समेत राजस्थान के हाड़ौती अंचल में इन दिनों गेहूं धनिया, सरसों, चना, मसूर, लहसुन, मैथी, अलसी और तारामीरा की फसलों में पानी लगाया जा रहा है। राजस्थान पत्रिका की टीम रात 11 बजे से 2 बजे तक जब किसानों की हालत का जायजा लेने के लिए कोटा के भदाना, रंगपुर, काला तालाब, अर्जुनपुरा, चंद्रेसल, मानपुरा आदि आधा दर्जन गांवों में पहुंची तो किसानों को 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान में पानी के बीचों-बीच खड़े पाया।
व्यवस्था के आगे लाचार हुआ किसान
खेतों में फसल को पानी पिला रहे किसानों से बात की तो उनका दर्द जुबां पर आ गया। ठंड के बावजूद अपनी जान हथेली पर रखकर लोगों के खाने-पीने की जरूरतें पूरी करने के लिए अन्नदाता घुप्प अंधेरे में खेतों में पानी लगा रहा था। सरकारी सिस्टम के आगे बेबस होकर कड़ाके की सर्दी में उपज को सींचने की मजबूरी बताई। कहा कि अंधेरे में जहरीले जंतुओं के काटे जाने का भी डर रहता है।
हो चुकी है किसानों की मौत
राजस्थान सरकार की उदासीनता और बिजली विभाग की हठधर्मिता के चंगुल में फंसे कोटा के किसानों की जान पर बन आई है। 22 नवम्बर की रात पीपल्दा पंचायत के ईश्वरपुरा गांव में सरसों में पलेवा करने गए किसान लालचन्द मेघवाल की सर्दी से मौत हो गई। पहले भी हिरियाखेड़ी पंचायत के चौसला गांव में खेत पर रखवाली करने गए 45 वर्षीय किसान मांगीलाल मेहर की भी खेतों में पानी लगाने के बाद सर्दी लगने से मौत हो चुकी है।
हृदयाघात की आशंका बढ़ जाती है
सीनियर फिजिशियन के.श्रंगी बताते हैं कि कड़ाके की सर्दी से व्यक्ति के शरीर में धमनियां संकुचित हो जाती हैं। इससे ब्लड की कमी आने से हृदयाघात की आशंका बढ़ जाती है। ब्रेन पर असर से लकवे की शिकायत हो सकती है। बीपी बढ़ जाता है। हाथ-पैरों में भी पैरिफ्रल गैंगरीन की आशंका रहती है।
रोटेशन से दे रहे बिजली
जेवीवीएनएल, कोटा खंड के संभागीय मुख्य अभियंता बी.एल. पचेरवाल बताते हैं कि सिंचाई के लिए किसानों को बिजली उपलब्ध कराने का जयपुर से टाइम टेबल सेट है। उसी अनुरूप बिजली दी जा रही है। दिन में 6 घंटे व रात में 7 घंटे बिजली दे रहे हैं। रोटेशन सिस्टम के तहत बिजली देने का समय बदला जाता है।
Published on:
27 Nov 2017 11:15 am
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
