
Farmers Not getting fertilizer fertilizer without POS machines
खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए शुरू की गई व्यवस्था ही किसानों के जी का जंजाल बन गई है। खाद वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने इस बार पोस मशीनों पर अंगूठा लगाने के बाद ही खाद देने की व्यवस्था की थी, लेकिन आधी से ज्यादा खाद वितरण एजेंसियों और सहकारी समितियों पर पोस मशीन ही नहीं लग सकी हैं और जहां लगी हैं वहां के कर्मचारी इन्हें चला नहीं पा रहे। जिसके चलते किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रही और फसलें खराब होने की आशंका बढ़ने लगी है।
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4 महीने बाद भी शुरू नहीं हो सका वितरण
सरकारी कर्मचारियों की सुस्ती व ढिलाई से बारां जिले की 45 सहकारी समितियों व निजी दुकानों पर खाद का वितरण (विक्रय) पोस मशीन से शुरू नहीं हुआ। इन्हें अब तक पोस मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई। जिम्मेदार अधिकारियों फिर से मशीनें नहीं मिलने का रोना रो रहे हैं। जबकि सरकार की मंशा के अनुरूप इस व्यवस्था से खाद का वितरण गत 1 जुलाई से शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन 4 महीने बाद भी खाद वितरण शुरू नहीं हो सका है।
कम मिलीं पोस मशीनें
जिले में 150 सहकारी समितियां हैं। इसमें से 85 के पास खाद बेचने का लाइसेंस हैं, जो लम्बे समय से यह काम कर रही है। इसी तरह से करीब 235 डीलर हैं, जो खाद-बीज बेचने का काम कर रहे हैं। कृभको के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार ने एक जुलाई से पोस मशीन से खाद बेचने के निर्देश दिए थे। इसको लेकर मई से मशीनें आना शुरू हो गई थी। तब से लेकर अब तक 275 मशीनें आई हैं। इसमें से 85 सहकारी समितियों व 190 डीलरों को मशीन दे दी है, लेकिन अब 45 डीलरों को मशीन नहीं मिल पाई है।
नहीं आता है पोस मशीन चलाना
जिले में कई डीलर ऐसे हैं, जिन्हें पोस मशीन चलाना ही नहीं आता है। ऐसे में कृभको की ओर से उन्हें पोस मशीन चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है, जो लोग डीलर अब भी मशीन संचालन करना नहीं सीखे हैं। उन्हें वितरण के लिए अन्य व्यक्ति को रखने के लिए कहा है। जिले की 85 सहकारियों समितियों पर सालाना 55 हजार मेट्रिक टन की खाद की खपत होती है। वहीं करीब 50 हजार मेट्रिक टन खाद किसान डीलरों से खरीद करते हैं।
बिना पोस के कर रहे वितरण
कई डीलर व समितियां पोस मशीन से दे रहे हैं तो कई बिना पोस मशीन से वितरण कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि पोस मशीन से वितरण शुरू होने से डीलर किसानों से मुंह मांगे दाम वसूल नहीं पाएंगे। मशीन पर ही खाद का मूल्य दिखाई देगा। साथ ही खाद बीज की कालाबाजारी भी नहीं हो पाएगी, क्योंकि इससे यह पता चल पाएगा कि डीलरों व सहकारी समितियों के पास कितनी खाद पहुंची है। इसमें से कितनी का वितरण हुआ है। कृभको के बारां क्षेत्रीय अधिकारी करण पाल सिंह ने बताया कि सभी डीलरों को मशीन नहीं मिली, इससे पोस मशीन से खाद के वितरण में दिक्कत आ रही है। मशीनें लेने के लिए प्रयास जारी हैं।
Published on:
06 Oct 2017 02:35 pm
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