
Fireworks in Kota Dussehra Fair
कभी रंग-बिरंगी अशरफियां बरसी, कभी आतिशी छातों को देख बच्चे चहक उठे तो युवाओं ने किलकारियां भी। अवसर था 'राजस्थान पत्रिका' व बंसल क्लासेज की ओर से मेला दशहरा के समापन पर आतिशबाजी कार्यक्रम का। लोग परिवार के साथ आतिशबाजी देखने पहुंचे। आलम यह था कि करीब 240 हैक्टेयर में फैले दशहरा मैदान में दूर तक दर्शक जमा थे। किशोरपुरा दरवाजे से लेकर विजय श्री रंगमंच तक तो दूसरी और सीएडी सर्किल से विजयश्रीरंगमंच, चंबलगार्डन रोड, किशोरपुरा हर तरफ लोगों का सैलाब था। जैसे ही आसमां में आतिशी रंग बिखरने लगे लोगों की निगाहें आसमान हो गई। वे अपलक आतिशी नजारों को निहारते रहे।
जगमगा उठा कोटा का आसमान
कोटा दशहरा मेले पर राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित आतिशबाजी का आगाज 21 तोपों की सलामी से हुआ। इसके बाद शोरगरों ने अपना कमाल दिखाना शुरू किया तो जल की रानी मछलियां तारों के संग आसमां में दौड़भाग करती नजर आई। बरसाती छातों झूमते सितारों और रंगबिरंगी रोशनी ने लोगों की निगाहों को धरतीपर नहीं आने दिया। हवाई और रंग-बिरंगे झरनों की कलकल ने भी लोगों को खूब मोहित किया। धूम-धड़ाका व रंग बिरंगे आतिशी नजारों के संग एेसा लग रहा था जैसे दीपावली के महापर्व का आगाज हो गया। इसी दौरान आसमां से सोने-चांदी की अशरफियों की बरसात धनतेरस की पूर्व संध्या पर लोगों के दिलों को मालामाल कर गई।
आतिशी झरनों ने मोहा मन
बच्चे, बूढ़े, युवा हर कोई इन नजारों का लुत्फ उठा रहा था। अपार उत्साह के माहौल में 'राजस्थान पत्रिका' और बंसल क्लासेज ने एक बार फिर सामाजिक सरोकार की भावना का निवर्हन किया और दशहरा मेले के समापन को हजारों लोगों के लिए यादगार बनाया। कार्यक्रम में सांसद ओम बिरला, महापौर महेश विजय, नगर निगम के आयुक्त डॉ. विक्रम जिंदल, राजस्थान पत्रिका के जोनल एडिटर हरीश मलिक, वरिष्ठ शाखा प्रबंध अजय सामर और संपादकीय प्रभारी विजय चौधरी भी मौजूद रहे।
बिखरी सांस्कृतिक छटा
कार्यक्रम के प्रारंभ में सांस्कृतिक छटा बिखरी। मणिपुर के कलाकारों ने एक के एक बाद एक कई प्रस्तुतियां दी। कलाकारों ने आंखों पर पट्टी बांधकर तलवार से फल को काटना, जय हो सरीखे कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए। बृजलोक कला मंडल मथुरा के कलाकारों ने महारास व अन्य प्रस्तुतियां देकर कृष्ण भक्ति में डूबोया।
चहुं ओर वाह-वाह
आतिशबाजी के दौरान लोगों के मुंह से एक ही शोर था वाह-वाह। एक के बाद एक जब हवाइयां छूटना शुरू हुई तो फिर बिना रुके आतिशी बरसात की झड़ी लग गई। हर आतिशबाजी पर तालियां बजती रहीं। जैसे ही आतिशबाजी चमकती, बच्चों के मुंह खुलते और उछल पड़ते।
Published on:
17 Oct 2017 01:16 pm
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