
कोटा.
तेजी से होता विकास और बढ़ती आबादी हाड़ौती के जंगलों पर भारी पड़ गई। पिछले आठ साल में इस इलाके के वनक्षेत्र में सिर्फ 5 वर्ग किमी का ही इजाफा हुआ। हां, हरियाली के नाम पर लगाई गई झाडिय़ां खूब पनपीं। इनमें 45 वर्ग किमी का इजाफा दर्ज हुआ। सबसे बुरा हाल बारां जिले का है, जहां जंगलों के साथ झाडिय़ां भी साफ हो गई।
देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान (एफएसआई) की ओर से जारी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ। सैटेलाइट के जरिए भारतीय वन संपदा की निरंतर निगरानी करने वाला एफएसआई हर दो साल में जिलेवार जंगलों के घटने और बढऩे का ब्यौरा (फॉरेस्ट रिपोर्ट) सार्वजनिक करता है।
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हाड़ौती की फॉरेस्ट रिपोर्ट बारां और कोटा के पर्यावरण प्रेमियों के लिए किसी झटके से कम नहीं। वर्ष 2009 से लेकर 2016 के बीच इन दोनों जिलों में 142 वर्ग किमी वन क्षेत्र घट गया। इसी दौरान बूंदी और झालावाड़ में 147 वर्ग किमी वनक्षेत्र का इजाफा हुआ। एफएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक इन 8 सालों में बूंदी, झालावाड़ और कोटा में झाडिय़ों के इलाके में 45 वर्ग किमी का इजाफा हुआ।
बारां का हाल सबसे बुरा
हाड़ौती का सबसे ज्यादा हरा-भरा जिला तेजी से होते विकास की सबसे ज्यादा कीमत चुका रहा है। बारां में इन सालों में 77 वर्ग किमी फॉरेस्ट एरिया और 10 वर्ग किमी स्क्रब एरिया (झाडिय़ां) घट गया। बारां के जंगलों को सबसे ज्यादा नुकसान पिछले दो साल में हुआ। रिपोर्ट 2017 के मुताबिक वर्ष 2015 और 2016 के बीच बारां में 44 वर्ग किमी फॉरेस्ट एरिया और 10 वर्ग किमी स्क्रब एरिया घटा है। इसी दौरान झालावाड़ में 34 और बूंदी में 82 वर्ग किमी वन क्षेत्र बढ़ा।
Published on:
05 Mar 2018 10:23 am
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