
कोटा .
हाड़ौती में दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में भी खास सर्दी नहीं दिख रही। सुबह-शाम ही असर है और दिनभर धूप। लेकिन, ऐसा इसी साल नहीं है, पारिस्थितिकी बदलाव के चलते साल-दर-साल अधिकतम और न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में 25 दिसम्बर को शहर का अधिकतम तापमान 21.6 डिग्री मापा गया था, जो तीन साल में 25 दिसम्बर 2017 को बढ़कर 25.1 डिग्री हो गया। न्यूनतम तापमान वर्ष 2012 में 28 दिसम्बर को 8.8 डिग्री मापा गया, जो 28 दिसम्बर 2017 को बढ़कर 9.6 डिग्री हो गया। मौसम विभाग के दस साल के अधिकतम-न्यूनतम तापमान के आंकड़े बताते हैं कि हर साल हाड़ौती में 0.2 से 0.4 डिग्री तक तापमान में तेज हो रहा है।
जलस्रोत नहीं भरना भी कारण
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह तक भी सर्दी का असर नजर नहीं आने का प्रमुख कारण इस साल मानसून की कम सक्रियता माना जा रहा है। नदी, तालाब, परम्परागत जल स्रोत लबालब नहीं हो पाए। आज भी संभाग के कई जलस्रोत, बड़े बांध, तालाब, डेम, बावडिय़ों में मात्र छिछला पानी ही बचा है।
फसलों पर दिखने लगा असर
उम्मेदगंज कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक एच.पी. मेघवाल ने बताया कि सर्दी ठीक नहीं पडऩे का असर फसलों पर है। दिन में धूप से अगेती की फसल में सरसों, धनिया पर आए फूल मुरझाने लगे हैं। चने के पौधे का विकास क्रम थम सा जाता है।
गेहूं के पौधे के विकास पर भी असर है।
कोटा मौसम विज्ञान विभाग मौसम विज्ञानी नंदबिहारी मीणा का कहना है कि घटते पेड़, बढ़ते प्रदूषण से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। साल दर साल साल तापमान में तेजी आ रही। बारिश कम हो रही है। अब तक कड़ाके की सर्दी नहीं पड़ रही। बरसात का सीजन भी घट गया है।
Published on:
29 Dec 2017 11:18 am
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