
आशीष जोशी। यह कोचिंग कैपिटल कोटा हैं। यहां जैसे यंग डायनेमिक, एनर्जेटिक टीचर शायद ही किसी दूसरे शहर में मिले वो भी डॉक्टर- इंजीनियर टीचर टीचिंग में कॅरियर बनाने का ऐसा जुनून कोटा में ही है। यह पढ़ाने का पैशन ही हैं कि आईआईटी और एम्स जैसे संस्थानों से पढ़कर इंजीनियर डॉक्टर प्रोफेशन चुन रहे हैं।
देश-विदेश में करोड़ों के पैकेज को ठुकराकर वे यहां कोटा में स्टूडेंट्स को डॉक्टर इंजीनियर बनाने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। यहां सैकड़ों टीचर है जिन्होंने आईआईटी जैसे बड़े संस्थानों से बीटेक और देश के बड़े मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस और फिर एमडी की डिग्री लेने के बाद टीचिंग में कॅरियर देखा।
यहां कई आईआईटीयन्स ऐसे जिनका सालाना पैकेज एक करोड़ के पार है। डॉक्टरी इंजीनियरिंग कर चुके टीचर्स को यहां 30 लाख से 1.20 करोड़ तक का एनुअल पैकेज मिल रहा है।
जब आप क्लास में होते हैंऔर बच्चों में खुशी देखते है तो वो सबसे बेहत समय होता है। बीटेक करने के दौरान ही टिचिंग में करियर बनाने की सोच ली थी। अमरनाथ आनन्द, बीटेक आईआईटी दिल्ली
आईआईटी मद्रास से कैमिकल में बीटेक किया। जॉब के कई ऑफर्स भा आए। लेकिन उसमें सेल्फ सेटिसफेक्शन नहीं थी। - पकंज बिरला, बीटेक आईआईटी मद्रास
कोटा में कोचिंग की। इसके बाद एमबीबीएस और फिर एम्स से पीजी की। पढ़ाने का पैशन शुरु से ही था। इसलिए इसी फील्ड में करियर बनाने कोटा आया। राधाबल्लभ गुप्ता, एमडी, दिल्ली एम्स
जब टीचिंग की और यहां स्टूडेंट्स में टीचर्स के प्रति सम्मान और लगाव देखा तो सच में लगा कि इससे अच्छा प्रोफेशन नहीं हो सकता। डॉ. अंकित छिप्पी, एमबीबीएस
Published on:
05 Sept 2024 08:52 am
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