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तो क्या कागज़ों में ही बनेगा कोटा स्मार्ट सिटी

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट-: सीएस के कॉन्सेप्ट से उलट कोटा के कड़़वे हैं हालात,शहर की हर सड़क पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा कागजों में ही सिमट गया नो एनीमल्स जोन

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कोटा

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Deepak Sharma

Jun 07, 2018

kota news

तो क्या कागज़ों में ही बनेगा कोटा स्मार्ट सिटी

कोटा. स्मार्ट सिटी में चयनित शहरों को लेकर हाल ही में जयपुर में हुई उच्च स्तरीय बैठक में भले ही मुख्य सचिव ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के जुड़े अधिकारियों को स्मार्ट सिटी की अवधारणा व मतलब समझाया हो, कि सड़कों पर न आवारा मवेशी दिखने चाहिएं और न सांडों के कारण कोई मरना चाहिए|

यहाँ तक की सड़कों पर गड्ढे भी नहीं हों, सीधा सा अर्थ ये है की जब स्मार्ट सिटी में हम चलें तो चलते वक्त हमें शहर में चारों तरफ हैप्पीनेस दिखे, लेकिन क्या ऐसा हुआ-: नहीं| दरअसल कोटा में यह सुनहरी तस्वीर केवल कागजों में ही है, हकीकत बिलकुल उल्टी है।

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किसी भी सड़क पर चले जाएं, आवारा मवेशियों का जमावड़ा तो दिखेगा ही और कई बार तो सांड बीच सड़क पर ही लड़ते दिख जाते हैं। आए दिन लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। बैठक में स्मार्टसिटी को लेकर के क्या-क्या काम हुए और जनता को क्या फायदा मिलने लग गया है, इस पर चर्चा हई।

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नो एनीमल्स जोन: न ट्रेकिंग, न टैगिंग

शहर में आवारा मवेशियों की समस्या के समाधान के लिए एक साल पहले जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। कुछ क्षेत्रों को 'नो एनीमल्स जोन घोषित भी किया जाना था, लेकिन प्रोजेक्ट एक कदम भी नहीं बढ़ा।

महापौर ने पिछले दिनों हुई कार्यसमिति की बैठक में कहा कि शहर में विचरण करने वाले मवेशियों की ट्रेकिंग की जाएगी, टैग लगाए जाएंगे, ताकि पशु पकडऩे पर पशु मालिक का पता चल जाए और उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। इस बात को भी महीना भर हो गया, बात फिर आई-गई हो गई है।

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सड़कें : चलते फिरते मुसीबत
सरकार ने मानसून से पहले सड़कें दुरुस्त करने और गड्ढे भरने के निर्देश दिए थे। प्रमुख मार्गों को स्मार्ट बनाना है। लेकिन इसके उलट शहर की सड़कों को पाइप लाइन,केबल आदि बिछाने के नाम पर खोद रखा है। सीसी रोड तक काट डाली हैं।

सबसे मुख्य सड़क छावनी फ्लाईओवर पर ही सड़क पर बड़ा कट लगा हुआ है। दुपहिया वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। लेकिन देखने और सुनने वाला कोई नहीं|

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रोड लाइट : बत्ती गुल, कोई नहीं सुनेगा
रोड लाइटों को भी स्मार्ट प्रोजेक्ट से जोड़ा जाना है। पिछली बैठक में महापौर व निगम आयुक्त ने कहा था कि रोड लाइट्स की शिकायतों के लिए लोगों को चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐप व निगम के कॉल सेन्टर पर ही वह शिकायत दर्ज करा सकेंगे।

लेकिन न तो कॉल सेन्टर बना और न ऐप जारी किया गया। पार्षद तक रोड लाइटें ठीक करवाने में असहाय नजर आ रहे। पार्षद रामेश आहूजा का कहना है कि रोड लाइटें दुरुस्त करवाने के लिए एलईडी लगाने वाली कम्पनी व ठेकेदारों में तालमेल नहीं है। उनके वार्ड में एक सप्ताह से रोड लाइटें ठीक नहीं हो पा रही।