8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

OMG! जेल में आराम फरमा रहे हैं कठोर सजा पाने वाले

कोर्ट ने जिन अपराधियों को कठोर सजा दी है। वह कोटा सेंट्रल जेल में आराम फरमा रहे हैं।

3 min read
Google source verification
Central Jail Kota,  Rigorous Imprisonment, District Legal Authority Kota, District and Session Judge Kota, Crime In Kota, Crime News Kota, rajasthan Patrika, Kota Patrika

Kota Central Jail is not adhering to rigorous imprisonment

जिला विविक प्राधिकरण ने कोटा की सेंट्रल जेल का शनिवार को औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान प्राधिकरण के सदस्य यह जानकर हैरत में पड़ गए कि कोर्ट ने जिन कैदियों को कठोर सजा दी है वह भी आराम फरमा रहे हैं। सेंट्रल जेल के पास इन कैदियों से करवाने के लिए कोई काम ही नहीं है।

कोर्ट ने जिन बंदियों को कठोर कारावास की सजा सुना कर कोटा की सेंट्रल जेल भेजा था उनसे जेल प्रशासन कोई काम नहीं करवा रहा। कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर यह कैदी जेल में आराम फरमा रहे हैं। सेंट्रल जेल के निरीक्षण के दौरान जिला विधिक प्राधिकरण के सदस्यों को जब यह जानकारी लगी तो वह हैरत में पड़ गए। आनन-फानन में जेल अधिकारियों को तलब कर इसकी वजह पूछी गई तो बेहद चौंकाने वाला कारण सामने आया। जेल अधिकारियों ने बताया कि जेल में कच्चा माल ही उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते कठोर कारावास की सजा की पालना नहीं हो पा रही। हद तो तब हो गई जब जब जेल अधिकारियों ने बताया कि इन कैदियों से पहले काम कराया जा चुका है, लेकिन पिछले एक साल से काम के बदले मिलने वाले मानदेय का अब तक भुगतान नहीं हो सका है। विधिक प्राधिकरण ने जेल जेल अधीक्षक की फटकार लगाते हुए कच्चा माल और मानदेय बजट जल्द से जल्द मंगवाने के निर्देश दिए।

Read More: मनचलों की नकेल कस रही महिला पुलिस की सिग्मा

पर्ची से होगी जेल की मुखबिरी

जेल में जाए बिना वहां की खामियां अब बाहर आ जाएंगी। जेल प्रशासन की अराजकता हो या फिर कैदियों के बदत्तर हालत जिला विधिक प्राधिकरण को इसकी तुरंत खबर लग जाएगी। वह भी किसी कैदी का नाम सामने आए बिना। जेल की मुखबिरी का काम यहां लगने वाली शिकायत पेटी करेगी। जिसमें कैदी गोपनीय तरीके से अपनी पर्ची डालकर सारी जानकारी दे सकेंगे। प्राधिकरण के पूर्ण कालिक सचिव प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि जेल में प्राधिकरण की ओर से शिकायत पेटी रखवाई गई है। इसमें जिन बंदियों को जेल संबंधी कोई शिकायत या यहां की कमियां व खुद की कोई पीड़ा होगी तो वह लिखित में इसमें डाल सकेंगे। अक्सर बंदी पीड़ा या शिकायत जेल प्रशासन को नहीं बता पाते। साथ ही, निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को भी कुछ नहीं कह पाते। इस पेटी से वह अपनी बात प्रशासन तक पहुंचा सकेंगे। प्राप्त शिकायतों को गुप्त रखा जाएगा। उन्हें जेल प्रशासन नहीं देख सकेगा। शिकायत पेटी की चाबी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय में रहेगी। निरीक्षण के दौरान उन शिकायतों का समाधान किया जाएगा। शिकायत लिखने के लिए पेटी के पास कागज-पेन रखने के निर्देश दिए हैं।

Read More: पत्रिका इम्पेक्टः- खबर का हुआ असर, रेलवे ने निकाली बंपर भर्तियां

जेल के डॉक्टर भी रहते हैं गायब

प्राधिकरण के अध्यक्ष जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह डड्ढा के नेतृत्व हुए निरीक्षण के दौरान रसोईघर में चारों तरफ गंदगी फैली हुई थी। गंदगी के बीच ही खाना बन रहा था। नलों की टूंटियां गायब होने से पानी टपक कर बर्बाद हो रहा था। डिस्पेंसरी में डॉक्टर पूरे समय नहीं बैठ रहे। इससे बीमारों का उपचार नहीं हो रहा। जानकारी करने पर पता चला कि जेल की डिस्पेंसरी में डॉक्टर पूरे समय नहीं बैठते। एक-दो घंटे की बैठकर चले जाते हैं। ऐसे में जेल अधीक्षक को निर्देश दिए हैं कि रसोई की गंदगी को साफ कराया जाए, नलों से पानी नहीं टपके इसके लिए एक निधारित समय के लिए पानी चालू किया जाए। डिस्पेंसरी में डॉक्टरों के बैठने का समय निर्धारित कर वहां सूचना लगाई जाए।

Read More: अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ खड़े हुए भाजपा विधायक

मजबूर कैदियों को मिलेगी मुफ्त कानूनी मदद

प्राधिकरण के पूर्ण कालिक सचिव प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि विचाराधीन व सजायाफ्ता बंदी, जिन्हें वकील उपलब्ध नहीं है, उनकी सूची बनाकर प्राधिकरण को भेजने के निर्देश जेल अधीक्षक को दिए। ताकि उन बंदियों को प्राधिकरण से नि:शुल्क वकील उपलब्ध कराया जा सके। जेल में लम्बे समय से सजा भुगत रहे दो बंदियों को प्राधिकरण की ओर से पीएलवी नियुक्त किया गया है। ये बंदियों को विधिक सहायता उपलब्ध कराएंगे। जेल अधीक्षक सुधीर प्रकाश पूनिया को निर्देश दिए कि विधिक सहायता क्लिनिक के लिए अलग से जगह उपलब्ध कराई जाए।