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13 साल बाद गिरफ्त में आई 6 हजार लोगों से 15 करोड़ रुपए ठगने वाली शातिर महिला

6 हजार लोगों से 15 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी करने वाली शातिर महिला को कोटा पुलिस ने गिफ्तार कर लिया।

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कंप्यूटर फ्रेंचाइजी के जरिए घर बैठे रोजगार दिलाने का दावा कर कोटा की शातिर महिला ठग ने 6 हजार लोगों से 15 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम ऐंठ कर फरार हो गई। ठगी का शिकार हुए लोगों ने कोटा ही नहीं नोएडा-दिल्ली तक में उसके खिलाफ करीब 50 मुकदमे दर्ज कराए, लेकिन देश भर की पुलिस 13 साल तक महिला ठग का सुराग नहीं लगा सकी। काफी कोशिशों के बाद कोटा पुलिस ने उसे गुरुवार को अहमदाबाद से धर दबोचा।

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घर बैठे कमाई कराने का दिया था लालच

कोटा के एसपी सिटी अंशुमान भौमिया ने बताया कि झालावाड़ जिले के खानपुर में रहने वाले प्रहलाद बिहारी और उसकी पत्नी ऊषा दाधीच ने करीब 14 साल पहले कोटा के शॉपिंग सेंटर में गणपति एन्टरप्राइजेज नाम से एक कम्पनी खोली थी। इस कंपनी के जरिए दोनों पति-पत्नी लोगों को घर बैठे कंप्यूटर जॉब ऑफर करने लगे। जॉब हासिल करने के लिए आवेदन करने वाले को 4 माह में 17,500 रुपए जमा करवाने के बाद दो साल तक प्रति माह 7 हजार रुपए वेतन देने का वायदा किया गया था। घर बैठे कमाई करने के लालच में 6 हजार से ज्यादा लोगों ने इनके यहां रजिस्ट्रेशन करा लिया। रजिस्ट्रेशन के जरिए जब इन लोगों के पास करीब 15 करोड़ रुपए की रकम इकट्ठी हो गई तो यह लोग कोटा छोड़कर फरार हो गए।

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एक आदमी ने करवाए 4-4 रजिस्ट्रेशन

ऊषा दाधीच और प्रहलाद का ऑफर इतना अट्रेक्टिव था कि लोग आसानी से उनके जाल में फंस गए। ज्यादा से ज्यादा कमाई के चक्कर में एक आदमी ने 4-4 रजिस्ट्रेशन करवा डाले, लेकिन 14 अप्रेल 2004 को लोगों को पहली बार पता चला कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं। इस दिन नयापुरा निवासी विक्रम सिंह गहलोत ने गुमानपुरा थाने में प्रहलाद बिहारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उसने 4 खाते खुलवाकर 26000 रुपए कम्पनी के नाम से जमा करवाए, लेकिन पैसा लौटाए बिना ही कंपनी फरार हो गई। इसके बाद तो ठगी के इस मामले में कोटा ही नहीं दिल्ली और नोएडा तक करीब 50 एफआईआर दर्ज हुईं। जिसमें लोगों ने 50 से 60 हजार रुपए तक की ठगी की बात कही। अकेले गुमानपुरा थाने में ही 18 मामले दर्ज हुए।

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जमानत लेकर हो गई फरार

गुमानपुरा थानाधिकारी विजयशंकर शर्मा ने बताया कि पुलिस ने मामला दर्ज कर प्रहलाद बिहारी और ऊषा दाधीच के साथ-साथ एक अन्य कर्मचारी विशाल यादव को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद प्रहलाद बिहारी को 3 साल की सजा हुई और सजा के बाद उसकी मौत हो गई। जबकि ऊषा जमानत लेकर फरार हो गई। पिछले 13 साल से पुलिस उसकी तलाश में भटक रही थी। एसपी सिटी अंशुमान भौमिया ने ऊषा की तलाश में विशेष टीम गठित की थी। इस टीम ने उसे गुरुवार को अहमदाबाद से धर दबोचा।