
लॉकडाउन में भेंट चढ़ी जिंदगीभर की कमाई, बच्चों को देखने की उम्मीद में पथराई आंखें, पढि़ए श्रमिकों की दर्दभरी कहानी...
बूढ़ादीत. साहब बच्चे घर पर अकेले हैं। हमें भी घर भेज दो, यहां कोई काम नहीं बचा। जितना कमाया था वह पूरा खाने में खर्च हो गया। यह पीड़ा खेड़ली तंवरान ग्राम पंचायत के महराना गांव में लॉकडाउन के बाद फंसे फसल काटने वाले श्रमिकों की है। हर वर्ष फसल कटाई के समय जीविका पालन के लिए मध्यप्रदेश के रतलाम जिले से मजदूर आए थे। तब से करीब 9 श्रमिक लॉक डाउन के कारण यहां फंसे हुए हैं। ये 19 मार्च को यहां आ गए थे। इसके बाद लॉक डाउन हो गया जिससे परिवहन के साधन बंद हो जाने से यहीं फंस गए। ये हर हाल में घर जाना चाहते हंै। फसल कटाई के बाद एक पखवाड़े के दरमियान वह उनके घर लौट जाते थे लेकिन एक माह से यहीं अटके हुए हैं। उन्हें परिवार जनों की चिंता सता रही है।
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श्रमिक कालूराम ने कहा कि घर में बच्चे व बुजुर्ग अकेले हैं। वे न जाने किस हाल में होंगे। यहां हम खेतों में रहने को मजबूर हैं। फसल कटाई कर जो थोड़ा बहुत कमाया था वह खाने-पीने में खर्च हो गया। यहां कोई मजदूरी भी नहीं मिल रही। सरवर आमली पाड़ा निवासी श्रमिक रमेश ने कहा कि सरकार ने जैसे विद्यार्थियों को उनके घर भेजा वैसे ही हमें भेजने की व्यवस्था करे तो राहत मिले। राजाराम, रमेश, कालूराम, विजयराम सहित अन्य श्रमिकों का कहना है कि पंचायत प्रशासन या अन्य किसी भी कर्मचारी ने उनकी सुध नहीं ली। हालांकि कुछ किसानों ने उनके लिए राशन की व्यवस्था की।
Published on:
30 Apr 2020 02:38 pm
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