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lockdown: गोद में बच्चे और सिर पर गठरी, आग बरसाती धूप में हजारों किमी पैदल चलने को मजबूर ये ‘मजदूर’

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कोटा

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Zuber Khan

Apr 30, 2020

labor migration

lockdown: गोद में बच्चे और सिर पर गठरी, आग बरसाती धूप में हजारों किमी पैदल चलने को मजबूर ये 'मजदूर'

सांगोद. गोद में मासूम बच्चे और सिर पर परिवार के पालन की जिम्मेदारियों की गठरी। सैकड़ों किलोमीटर पैदल चले तो पांव में भी छाले। माथे पर पसीना और थकावट का दर्द लेकर पैरों में कपड़ा बांध टूटी फूटी चप्पलों के सहारे ऐसे कई मजदूर इन दिनों मुख्यालय से गुजर रहे हैं। कई किलोमीटर दूर से पैदल चलकर आ रहे इन लोगों का मकसद सिर्फ एक है कैसे भी हो, अपनी जन्म भूमि जाना है। परिवार को साथ लेकर अपनी जन्मभूमि छोड़ सैकड़ों किलोमीटर दूर रोजी-रोटी और आजिविका चलाने दूसरे राज्य व जिलों में गए ऐसे कई मजदूर अब अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते काम-धंधे बंद होने से इन्हें अपने कर्मस्थल पर खाने-पीने के भी लाले पड़े हैं।

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आवागमन के साधन बंद हैं, ऐसे में मजबूरन पैदल चलकर अपने गांव पहुंचने को आतुर हैं। यहां मुख्यालय से रोजाना ऐसे कई मजदूर पैदल गुजर रहे हैं। पूर्व में प्रशासन ने भोजन व राशन सामग्री उपलब्ध कराई थी लेकिन इन्हें अपने घरों तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की। रामदेवरा से सांगोद पहुंचे बारां क्षेत्र के मजदूरों ने बताया कि वो पिछले पन्द्रह दिनों से पैदल चल रहे हैं। न खाने की व्यवस्था है और न ही रुकने की। सरकार कोटा में रह रहे छात्रों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है लेकिन हम मजदूरों को भगवान भरोसे छोड़ रखा है।

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नहीं बन रहा कोई मददगार
इन मजदूरों के लिए कोई मददगार भी नहीं बन रहा। प्रशासन ने भी ऐसे मजदूरों के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं कर रखी। बल्कि दूर से दिखते ही इन्हें बिना रूके आगे के लिए रवाना कर दिया जाता है। जरूरतमंदों को खाना बांट रहे लोग जरूर इन्हें भोजन उपलब्ध करा देते हैं।

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बच्चों की हालत खराब
गांवों की ओर लौट रहे मजदूर परिवार अपनी किस्मत और नियति को कोसते आगे बढ़ रहे हैं। परिवार के साथ चल रहे बच्चों की हालत ज्यादा खराब है, जो चंद कदम दूर नहीं चल पाते वो सैकड़ों किमी का पैदल सफर कर रहे हैं। कभी मां की गोद तो कभी पिता के कंधों पर सवार होकर हालातों से लड़ रहे हैं। इस दौरान माता-पिता की भी हालत खस्ता हो जाती है।