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हे भगवान…शिक्षा के लिए मासूमों की जिंदगी पर दांव: 3 किमी का खौफनाक जंगल और खाल में पानी का तेज बहाव पार कर स्कूल जाते हैं यहां के बच्चे

कोटा शहर से 70 किमी दूर उजाड़ क्षेत्र की मदनपुरा ग्राम पंचायत के खेड़ली सहरान व सांगाहेड़ी गांव के बच्चों को स्कूल जाने के लिए हर दिन जिंदगी दांव पर लगानी पड़ती है।

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कोटा

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Zuber Khan

Nov 04, 2018

political news

हे भगवान... शिक्षा के लिए जिंदगी दाव पर: 3 किमी का खौफनाक घना जंगल और खाल में पानी का तेज बहाव पार कर स्कूल जाते हैं यहां बच्चे

जुबैर खान @ कोटा.

शहर से 70 किमी दूर उजाड़ क्षेत्र की मदनपुरा ग्राम पंचायत में कदम रखा तो सड़क के नाम पर मिली कच्ची पगडंगियां। यहां पांच किमी अंदर गांव जाना किसी सजा से कम नहीं है। बच्चे स्कूल जाने के लिए घर से बाहर कदम रखते हैं तो मां-बाप का कलेजा मुंह को आ जाता है, शिक्षा की डगर तीन किमी सुनसान जंगल से होकर जो गुजरती है। मानसून की दस्तक के साथ ही लोग प्रार्थना करने लगते हैं कि कोई बीमार न पड़ जाए। घुटनों तक कीचड़ में बीमार व्यक्ति को चारपाई पर कंधों के सहारे पांच किमी दूर अस्पताल ले जाना कितना खौफनाक है, सांगाहेड़ी व खेड़ली सहरान गांव के बाशिंदे बखूबी जानते हैं। दोनों गांवों में 446 परिवारों का निवास है, जिन्हें हर दिन पिछड़ेपन का दंश सताता है।

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5वीं के बाद लड़कियों की छूट जाती है पढ़ाई
बूढ़ादीत से 15 किमी का सफर तय कर सांगाहेड़ी पहुंचे, चुनावी चर्चा छेड़ी तो नरेन्द्र व रामप्रसाद गोचर बोले, 'घणा जंगल सूं छोरा छोर्यां न स्कूल खनाबा मं काळज्यो धड़क छ:, वांक पढऱ घर आबा क बाद ही काळज्या में शांति आव छ:।Ó यहां पांचवीं के बाद पढ़ाई के लिए बच्चों को पांच किमी दूर जाना पड़ता है। इसमें तीन किमी घना जंगल है, फिर आगे खाळ पार कर मदनपुरा स्कूल पहुंचते हैं। रामबिलास बोले- गत वर्ष जंगल में वन्यजीव ने बच्चों पर हमला कर दिया था। कई अभिभावक पांचवीं के बाद ही लड़कियों की पढ़ाई छुड़वा देते हैं।

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दो दर्जन युवक कुंवारे
आगे बढ़े तो रामरतन गुर्जर व जगन्नाथ मेघवाल मिले। बोले, 'आबा-जाबा को गेलो अर पीबा क तांई पाणी कोईन, तो बेटी को बाप छोरी ई गांव मं देबो पसंद न कर, घणा छोरा कुंवारा बैठ्या छï:। यहीं देवनारायण मंदिर पर बैठे रामेश्वर गुर्जर, राजेश बैरवा, केदारलाल केवट ने बताया कि गांव में 24 में से 6 घंटे ही बिजली मिलती है। किशनलाल बैरवा ने बताया कि 'सारा गांव मं यो अकेलो हैंडपंप छ:। यहां 35 वर्ष की उम्र तक के दो दर्जन से अधिक युवा कुंवारे हैं।

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बीमार को चारपाई पर ले जाते हैं अस्पताल
किराने की दुकान पर मिले रामबिलास व शम्भुदयाल बैरवा बोले- 'गांव मं पक्की सड़क न होबा सूं बीमारां को खाट ही आसरो छ:। बरसात में घुटनों तक कीचड़ फैला रहता है। कोई बीमार हो जाए तो उसे चारपाई पर करीब पांच किमी दूर मदनपुरा तक ले जाना पड़ता है। वहां से कोटड़ादीप सिंह गांव के अस्पताल लेकर जाते हैं। रात को स्थिति और भी भयावह हो जाती है। बरसात में गांव का संपर्क कट जाता है।

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बंद रहता है उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
खेड़ली सहरान गांव में विद्यालय के पास खड़े श्यामबिहारी शर्मा व बनवारी लाल बोले, 'बरसों बाद यहां से एक किमी दूर नरसिंहपुरा में उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुला जो एक-दो घंटे खुलता है। हीरामनजी के चबूतरे के पास बद्रीलाल मीणा, जगन्नाथ बैरवा व मनोज मीणा बैठे मिले। विकास पर बात की तो चिढ़ गए। बोले- 'नेता भी मोबाइल टावर की तरह हो गए, चुनाव आए तो अब दिखने लगे। यहां के बच्चों को खाळ पार कर स्कूल जाना पड़ता है।


खेड़ली सहरान
कुल मतदाता 162
पुरूष मतदाता 82
महिला मतदाता 80


सांगाहेड़ी
कुल मतदाता 284
पुरूष मतदाता 157
महिला मतदाता 127