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कोटा में हुई स्टाम्प पेपर की भारी किल्लत, 50 की जगह खर्च करने पड़ रहे 500 रुपए

कोटा में कम कीमत के स्टाम्प पेपर की खासी कमी हो गई है। जिसके चलते लोगों को 10 गुना ज्यादा कीमत के स्टाम्प खरीदने पड़ रहे हैं।

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कोटा में हुई स्टाम्प पेपर की भारी किल्लत, 50 की जगह खर्च करने पड़ रहे 500 रुपए

कोटा में 50 और 100 रुपए की कीमत के स्टाम्प की भारी कमी हो गई है। जिसके चलते लोगों को 5 से 10 गुना कीमत के स्टाम्प खरीदने पड़ रहे हैं। इससे लोगों की जेब पर आर्थिक भार पड़ रहा है, वहीं वेंडर भी जमकर चांदी काट रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े से पूरे शहर में किसी भी स्टाम्प वैंडर के पास कम कीमत के स्टाम्प नहीं मिल रहे हैं। जिसके चलते लोगों को 500 रुपए का स्टाम्प खरीदना पड़ रहा है।

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बाजार से गायब हुए छोटे स्टाम्प

करीब एक साल पहले तक किरायानामा से लेकर तमाम तरह के एग्रीमेंट करने के लिए लोग अधिकतर 10 और 20 रुपए की कीमत वाले स्टाम्प का इस्तेमाल करते थे, लेकिन करीब एक साल पहले सरकार ने इन्हें बंद कर दिया। इसके बाद तमाम जरूरी कामों के लिए मौजूदा समय में सबसे कम कीमत के 50 और 100 रुपए के स्टाम्प लगाने का चलन शुरू हो गया। लेकिन कोटा में पिछले 15 दिनों से 50 और 100 रुपए की कीमत वाले स्टाम्प भी नहीं मिल रहे हैं।। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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हर रोज लगते हैं 2 लाख के स्टाम्प

मुकदमों से संबंधित फैसलों व जमानत की नकल, किसी भी काम के लिए शपथ पत्र पेश करने व बैंक संबंधी अधिकतर काम में 50० व 100 रुपए के स्टाम्प की जरूरत होती है। रोजाना करीब 2 लाख रुपए कीमत के छोटे स्टाम्प की कोटा में खपत है। कोटा में करीब 200 स्टाम्प वेंडर हैं, इनमें से किसी के पास भी छोटे स्टाम्प नहीं हैं। लोगों ने बताया कि जहां 50 और 100 रुपए का स्टाम्प लगता था, वहां 500 रुपए का स्टाम्प लगाना पड़ रहा है। इससे लोगों की जेब पर 5 से 10 गुना बोझ बढ़ गया है।

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लोग टालने लगे जरूरी काम

कोटा स्टाम्प वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष देवदत्त पाठक बताते हैं कि करीब 15 दिन से छोटे स्टाम्प की किल्लत है। कोष कार्यालय से बताया कि प्रिंट नहीं होने से अजमेर से ही स्टाम्प नहीं आ रहे। कम से कम 500 रुपए का स्टाम्प खरीदना पड़ रहा है। यदि मंगलवार तक स्टाम्प नहीं आए तो अगले एक सप्ताह और समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा। छोटे स्टाम्प की किल्लत के चलते अधिकतर लोग सिर्फ जरूरी काम ही करवा रहे हैं। कई ऐसे काम हैं, जो बाद में भी हो सकते हैं, उन्हें टाला जा रहा है।