
57 बीघा खेत के मालिक फिर भी ले रहे गरीबों वाला गेहूं
शहरी इलाकों में रहकर उठा रहे थे खाद्य सुरक्षा का फायदा, 83 के काटे नाम
कोटा. गरीब और जरूरतमंदों की गुजर बसर के लिए चलाई जा रही खाद्य सुरक्षा योजना में लखपतियों की सेंधमारी का खुलासा हुआ है। कनवास उपखंड में बड़े काश्तकारों को गेहूं तुलाई के लिए जारी किए गए कूपनों और बाढ़ के दौरान मुआवजे के लिए दिए गए आधार कार्डों का जब खाद्य सुरक्षा योजना के चयनितों से मिलान किया गया तो गरीबों के हक पर डाका डालने का खुलासा हुआ। इसमें 40 से 57 बीघा जमीन के मालिक भी योजना का लाभ लेते मिले। लॉकडाउन के दौरान समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए किसानों को जारी किए गए पास का वितरण करने के दौरान कनवास उपखंड के 93 काश्तकार गांव में नहीं मिले। संदेह होने पर उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने कूपन और बाढ़ के दौरान मुआवजा लेने के लिए लगाए गए आधार कार्ड के जरिए खाद्य सुरक्षा योजना की सूची से मिलान करवाया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। सभी काश्तकारों के नाम गरीबों के लिए चलाई गई इस योजना में शामिल मिले।
ऐसे हुआ संदेह
उपखंड मुख्यालय कनवास पर रहने वाली करीब 70 फीसदी आबादी का नाम खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल है। ऐसे में अधिकांश लोग कस्बे के मूल निवासी नहीं है। इसी को आधार बनाकर जब उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने मामले की जांच करवाना शुरू किया तो खुलासा हुआ। डागा ने बताया कि 93 अपात्र
परिवारों को चिन्हित किया गया है। बड़े भूमिधारी होने पर 83 परिवारों का नाम कनवास की खाद्य सुरक्षा योजना से काटा गया है। जबकि गांव छोड़कर कोटा में रह रहे 10 बड़े भूमिधारी परिवारों के कोटा में रहने की जानकारी मिली है। जिनके खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएसओ को लिखा है।
वसूली भी हुई शुरू
उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने बताया कि कनवास उपखण्ड में तथ्य छिपा कर फर्जी तरीके से खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल हुए 87 सरकारी कार्मिकों से 13,52,971 रुपए की वसूली करने के आदेश जारी किए जा चुके हैं। जिसमें से
42 सरकारी कर्मचारियों ने 6,07,297 रुपए जमा भी करवा दिए हैं। इसके साथ ही अन्य श्रेणियों से भी 276 अपात्र परिवारों को हटाया जा चुका है।
Published on:
30 Apr 2020 12:06 am
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