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#नोटबंदीः एक साल बाद भी सदमे में हैं लोग, व्यापारियों ने ऐसे किया रिएक्ट

नोटबंदी का एक साल पूरा हो गया, लेकिन लोगों के जेहन में उसकी यादें आज भी ताजा हैं, जिसकी वजह से उन्हें खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी।

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Merchants Reaction on Demonetisation

नोटबंदी के बाद उपजे हालातों को लोग एक साल बाद भी नहीं भूले हैं। नोटबंदी के दौरान कोटा का हरवर्ग परेशान हुआ था। पत्रिका ने नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर शहर के सबसे बड़े बाजार रामपुरा पहुंचकर व्यापारियों व ग्राहकों से नोटबंदी के हालातों पर चर्चा की। व्यापारियों व ग्राहकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आई।

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नोटबंदी पर यूं बोले व्यापारी

सुरेन्द्र जैन, कचौरी व्यवसायीः-
नोटबंदी से खुदरा कारोबार पर ज्यादा असर पड़ा। इससे अभी तक व्यापारी परेशान हैं। नोटबंदी, जीएसटी ने व्यापारियों को हिलाकर रख दिया।

नारायण गोयल, स्टेशनरी व्यवसायीः-
40-50 हजार की सेल घटकर 5-10 हजार पर आ गई थी। खुद के पैसों के लिए बैंकों से भीख मांगना पड़ा। डिजीटल समझ नहीं आता।

अभिमन्यु भावनानी, मेडिकल व्यवसायीः-
पेटीएम व ई-वॉलेट को यूज करने की कोई तैयारी नहीं थी। अब जाकर थोड़ा संभल पाए हैं, लेकिन अब जीएसटी ने उलझा रखा है।

राकेश जैन, कॉस्मेटिक, जनरल आयटम व्यवसायीः-
उस समय लोगों की परचेजिंग पावर खत्म हो गई थी। कारोबार घट गया था। ४०-५० हजार रोजाना की जगह 1000 रुपए पर आ गया था।

अजय गोयल, अध्यक्ष रामपुरा व्यापार समितिः-
नोटबंदी के बाद जो राशि निकल कर बाहर आई है, उससे देश का विकास होगा। ईमानदारी से कारोबार करने वालों पर कोई असर नहीं पड़ा।

राजकुमार, कोटा डोरिया साड़ी व्यापारीः-
कारीगरों को समय पर रुपए नहीं दे पाए। अब एक साल बाद नोटबंदी का असर तो खत्म हो गया, लेकिन जीएसटी ने परेशान कर रखा है।

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बाहर आई जमा पूंजी

नोटबंदी के बाद सामने आए हालातों पर जब ग्राहकों से बात की गई तो उन्होंने कुछ इस तरह रिएक्ट कियाः- ग्राहक सुरेश जैन ने कहा कि उपभोक्ता थोड़े दिन परेशान हुआ। इससे कालाधन निकल कर सामने नहीं आया, लेकिन तिजोरियों में बरसों से जमा पूंजी जरूर बाहर आ गई। वहीं मोहनलाल ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बहुत परेशानी उठानी पड़ी। कई लोगों के काम अटक गए। मुझे भी बैंकों में कतार में लगना पड़ा। गरीबों की कमाई खत्म हो गई।