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विधायक भरत सिंह ने उर्जा मंत्री को चेताया : आप कल्पना नहीं कर सकते जानलेवा सर्दी में किसानों का क्या हाल हो रहा…

पत्र लिखकर अन्नदाता की स्थिति से कराया अवगत कराते हुए कहा किसानों को रात में बिजली देना गलत और अमानवीय, दिन में बिजली देने की मांग

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विधायक भरत सिंह

विधायक भरत सिंह

सांगोद. जिले के कई गांवों में फसलों में सिंचाई को लेकर किसानों को रात में थ्रीफेज बिजली दी जा रही है। हाड़कंपाती सर्दी में जहां लोग घर से निकलने में भी कतराते हैं, वहीं किसान खुले आसमान के नीेचे सर्द हवाओं के बीच फसलों में सिंचाई करने को मजबूर हैं। तेज सर्दी के चलते कई किसानों की मौत भी हो चुकी है लेकिन बंद कमरों में निर्देश जारी करने वाले जिम्मेदार अधिकारी अब तक जानलेवा सर्दी में सिंचाई कर रहे अन्नदाता की पीड़ा समझ नहीं सके।
समस्या को लेकर विधायक भरत सिंह व पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने मंगलवार को उर्जा मंत्री बीडी कल्ला को पत्र लिखकर किसानों की पीड़ा बताते हुए दिन में ही सिंचाई के लिए बिजली देने की मांग की। पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने पत्र में बताया कि इन दिनों सर्दी के तेवर तेज है। दिन में भी लोगों की हालत खस्ता हो रही है। इस स्थिति में रातभर खुले आसमान के नीचे पानी के बीच खड़ा रहकर किसान सिंचाई करने को मजबूर है। उनकी स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
वहीं, विधायक भरत सिंह ने मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि कड़ाके की सर्दी में किसानों को रात में बिजली देना सरासर गलत और अमानवीय है। जब प्रदेश बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है तो फिर रात में बिजली देने का औचित्य क्या है। किसानों की जान की सुरक्षा को लेकर उन्हेें दिन में बिजली मिलनी चाहिए।

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सर्दी का बढ़ता सितम किसानों को कर रहा परेशान

क्षेत्र में सर्दी का टॉर्चर मंगलवार को भी जारी रहा। दिनभर लोग गलन एवं सर्दी से ठिठुरते रहे। सुबह-शाम सर्दी ने लोगों की हालत खस्ता कर दी। गलन के चलते दिन में भी लोग गर्म कपड़ों से लदे अलाव की शरण में रहे। दिनभर सर्द हवाओं ने लोगों को परेशान किया। इससे पूर्व मंगलवार को भी सुबह की कोहरे के बीच हुई। कोहरे के चलते लोगों की दिनचर्या भी देरी से शुरू हुई। दिन चढऩे के साथ ही कोहरा तो छंट गया लेकिन धूप भी सर्द हवाओं के आगे बेबस नजर आई। धूप में तेजी नहीं होने से लोगों को ज्यादा राहत नहीं मिली। शाम को सूर्यास्त के बाद फिर गलन ने मुश्किलें बढ़ाई। बंद कमरों में भी लोग सर्दी से परेशान रहे। पशु-पक्षियों पर भी सर्दी का सितम भारी पड़ रहा है। शीत लहर से बचने के लिए पक्षी दिनभर पेड़ों की कोठरों में छिपे रहने को मजबूर रहे तो पशु भी गर्म स्थानों की तलाश में भटकते रहे। वहीं सर्दी का बढ़ता सितम किसानों को भी परेशान कर रहा है। उन्हें पाला पडऩे की चिंता सताने लगी है।