
जुबैर खान@ कोटा .
दो साल की मासूम खुशी जब भी अम्मी और अब्बू को झगड़ते देखती तो दुबक कर कोने में चली जाती, आंसू टपकाती। उधर, 5 साल का आकाश रोज की किचकिच देखकर गुमसुम रहने लगा। तो युवा बहनों किंजल और एंजल के पिछले तीन साल मानसिक तनाव में बीते। दोनों की शादी पक्की हो गई, लेकिन उन्हें यह दर्द सताता कि मम्मी-पापा के झगड़े तलाक में बदल गए तो क्या होगा।
....लेकिन, अब इन सबके चेहरों पर नूर लौट आया है। पिछले दो माह इन सबके लिए जैसे खुशियां लौट आईं। सामाजिक पहल और समझाइश से तलाक की दहलीज तक जा पहुंचे इनके माता-पिता के रिश्ते में फिर मिठास घुल गई। तीन तलाक के मुद्दे पर बहस करने के बजाए कोटा में मुस्लिम समुदाय में तलाक रोको मुहिम शुरू कर दी है। समाज के प्रबुद्धजनों की समझाइश से सामाजिक बदलाव भी आ रहा है।
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50 साल साथ रहे, फिर तलाक पर अड़े
तलाक रोको मुहिम से जुड़े डॉ. मोहम्मद सिद्दीक अंसारी बताते हैं कि मवासा गांव निवासी दम्पती 50 साल साथ रहने के बाद तलाक देने लगे। झगड़े में पोता-पोती तक का बंटवारा कर दिया। पोता दादा के साथ तो पोती दादी के साथ रहने लगी। मुहिम से जुड़े जागरूक नागरिकों ने उन्हें बच्चों के भविष्य का आईना दिखा उनका दर्द साझा किया तो दोनों को फिर से एक हो गए। मुहिम से ही जुड़े एडवोकेट अमजद खान बताते हैं एक वर्ष पहले तीन दम्पती तलाक के सिलसिले में कोर्ट आए। तीनों महिलाएं गर्भवती थीं। डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिए तलाक के बाद बच्चों का जीवन किन मुश्किलों से गुजरता है, यह अहसास करवाया। आखिर, बच गए तीनों परिवार।
तीस परिवारों से संपर्क
मुहिम से जुड़े डॉ. पीर मोहम्मद, इकबाल अहमद अंसारी, शुजाउद्दीन अंसारी, जाकिर हुसैन, शकूर अनवर, शौकत अली, हाजी अब्दुल अजीज अंसारी, सीमा तबस्सुम बताते हैं कि इन दो माह में कार्यकर्ताओं ने 5 तलाक रोके। कार्यकर्ता अदालत में तलाक के आवेदन कर चुके दम्पतियों से भी संपर्क कर रहे हैं। अब तक 30 दम्पतियों की काउंसलिंग की जा चुकी है। उन्हें परिवार और बच्चों की अहमियत समझाई जा चुकी है।
Published on:
06 Feb 2018 12:34 pm
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