कोटा. शहर से करीब ३५ किलोमीटर दूर चंबल की लहरों के बीच जामुनिया द्वीप पर्यटकों की निगाहों में छा रहा है। जो भी इस राह से गुजरता है इसे देखता ही रह जाता है। देसी परदेसी पक्षियों की उड़ान और धूप का आनंद लेते मगरमच्छ इन दिनों यहा देखे जा सकते हैं। चंबल के मध्य होने से जामुनिया का सौन्दर्य खास हो जाता है। इन सभी के बावजूद न तो पर्यटन विभाग का इस ओर ध्यान है न ही प्रशासनिक तौर पर विकास के लिए कोई खास योजना। यहां पहुचने के लिए सड़क नहीं होने से पर्यटकों को परेशानी होती है। जामुनिया द्वीप सुल्तानपुर कस्बे से18 किलोमीटर दूर कोटसुआं ग्राम पंचायत के बालापुरा गांव में है। 150 बीघा में फैला यह दीप चारों ओर से हरियाली से घिरा है। नदी में कई द्वीप हैं जो जामुनिया के सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं।
करती आकर्षित
प्रकृति की गोद में बसा जामुनिया चम्बल घडि़याल सेंचुरी भी है। यहां दो दर्जन से अधिक टापू हैं, जिन पर मगरमच्छ धूप सेकते नजर आते हैं। वहीं, दूसरी और साइबेरियन जांघिलो की मनमोहक अठखेलिया पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
नाव की सैर करती है रोमांचित
जामुनिया द्वीप जाने के लिए बालापुरा गांव पहुंचना होता है। फिर यहां से पगडण्डी के सहारे 2 किमी पैदल चलकर चम्बल नदी किनारे पहुचते हैं। इसके बाद नाव के सहारे जामुनिया द्वीप की सैर की जाती है। प्रकृति के सौंदर्य को नजदीक से देख प्रर्यटक रोमांचित हो उठते हैं। गांववासी कन्हैयालाल मीणा व छीतरलाल ने बताया कि दिसम्बर माह में 800 से अधिक पर्यटक जामुनिया दीप देखने आए।
विदेशी पक्षियों की स्थायी बस्ती
पक्षी प्रेमी कन्हैयालाल व सुखलाल ने बताया कि जामुनिया में साइबेरिया से आए विभिन्न प्रजाति के जांघिल (पेन्टेट स्टार्क) पक्षियों की स्थायी बस्ती है।
इसके अलावा ब्लैक स्टॉर्क, गिद्ध, सारस, ऊदबिलाव, खरगोश, सहेलियां व सांप, नीलगाय, मगरमच्छ बड़ी संख्या में हैं। हर मौसम में यहां भोजन-पानी की उपलब्धता होने से जांघिल पक्षियों की स्थायी बस्ती बस गई।