
लुहार परिवार के साथ सांटियों की लड़ाई, फकीर, लेला-मजनू, सेठ-सेठानी, भीड़ को हटाने के लिए कोढ़े बरसाते युवक जैसे परम्परागत स्वांगों के साथ डीजल में सने युवाओं को कोढ़े मारते स्वांग ज्यादा थे।
सांगोद.
राजसी वैभव एवं राजस्थानी लोक संस्कृति के अतीत की यादें बुधवार को यहां न्हाण खाड़ा अखाड़ा चौबे पाड़ा की बारह भाले की सवारी में साकार हो उठी। सजे धजे अश्वों पर सवार राजसी परिधान पहने अमीर उमरावों के साथ स्वांगों की अठखेलियों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बच्चों एवं युवाओं की टोलियां स्वांग धरकर बाजारों में लोगों का मनोरंजन करते नजर आए। मार्ग पर स्थित मकानों एवं दुकानों की छते देखने वाले लोगों से ठसाठस भरी रही। बैठने की जगह नहीं मिलने पर खड़े रहकर लोगों ने आयोजन का लुत्फ उठाया।
Published on:
07 Mar 2018 10:03 pm
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