अणुनगरी स्थित आरएपीपी में देशभर के अलग-अलग राज्यों के लोग कार्य करते है। ऐसे में यहां देशभर से वर्षभर लोगों का आना-जाना चलता रहता है। इसके अलावा कई अधिकारी व कर्मचारी आरएपीपी के कार्य से घूमने के लिए विदेश भी जाते है। ऐसे में यहां आने जाने वाले लोगों को संक्रमण का खतरा भी बना रहता है, लेकिन इस बारे में रावतभाटा में जांच व उपचार की व्यवस्था नहीं है।
सोनोग्राफी तक के लिए भेज रहे कोटा
रावतभाटा में चिकित्सालय व्यवस्था की बदहाली का आलम यह है कि यहां के आरएपीपी चिक्त्सिालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दोनों ही रैफरल चिकित्सालय साबित हो रहे है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोनों चिकित्सालयों से सोनोग्राफी तक के लिए लोगों को कोटा रैफर करना पड़ता है। ऐसे में विभिन्न प्रकार की सर्जरी, न्यूरो संबंधी समस्याओं, हृदय रोग, गुर्दा रोग, हड्डी रोग, नेत्र रोगों समेत दुर्घटनाओं व गंभीर रोगियों को उपचार के लिए कोटा भेजना पड़ता है। इसके अलावा कुछ जांचों को छोड़कर सभी प्रकार की जांचों के लिए चिकित्सालय कोटा या अन्यत्र के चिकित्म्सालयों पर निर्भर है। हालांकि प्रसव के लिए एक महिला को प्रशिक्षित कर यहां सोनोग्राफी का काम शुरू किया गया है, लेकिन प्रसव के जटिव मामलों समेत अन्य मामलों में रोगियों को उपचार के लिए कोटा ही भेजना पड़ रहा है।
पहले भी ले चुका है स्वाइन फ्लू लोगों की जानें
आरएपीपी इकाई 2 के फायर अनुभा” के डीसीओ बृजराज सिंह (46) की तबियत खराब होने पर चिकित्सकों को स्वाइन फ्लू की संभावना लगी। इस पर उन्होंने रोगी के सेम्पल को जांच के लिए जयपुर भेजा, जहां से उन्हें स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई। इस पर उन्हें शनिवार को जयपुर के फोर्टिस चिकित्सालय रैफर किया गया, जहां उपचार के दौरान रविवार को उनकी मौत हो गई। इससे पहले यहां करीब नया बाजार में पानी की टंकी के पास निवासी सु”न चंद जैन (७०) की स्वाइन फ्लू से 17 फरवरी 2015 को, वार्ड 5 में रामटेकरी पुलिया निवासी रूबीना की भी स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी थी।
चिकित्सकों की देखरेख में किया अंतिम संस्कार
चिकित्सकों ने बताया कि रावतभाटा में आरएपीपी कर्मचारी डीसीओ बृजराज सिंह (46) की मौत के बाद सोमवार को मृतक का शव को आइसुलेटेड बेग में विशेष एम्बुलेन्स से रावतभाटा लाया गया। जहां परिजनों व पड़ौसियों को सर्तकता बरतने के निर्देश दिए गए। इसके बाद शव को सीधे मुक्तिधाम ले जाया गया, जहां बीसीएमएचओ डा.जीजे परमार व डा.अनिल जाटव की देखरेख में मृतक का अंतिम संस्कार किया गया।
सर्वेक्षण कर, दवाओं का किया वितरण
घटना की सूचना मिलने पर बीसीएमएचओ डा.जीजे परमार व राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सालय प्रभारी अनिल जाटव समेत चिकित्सा टीम मृतक के घर रविवार रात को पहुंची तथा ५० से अधिक लोगों को टेमीफ्लू का वितरण किया। इसके बाद सोमवार दोपहर भी चिकित्सकों ने परिजनों व आस पड़ौसियों की जांच कर टेमीफ्लू टेबलेट का वितरण किया गया। साथ ही उन्हें स्वाइन फ्लू के लक्षणों व बचाव के बारे में जानकारी दी गई।
सर्वे करवाने के दिए निर्देश
इस मामले में बीसीएमओ डा.जीजे परमार, चिकित्सालय प्रभारी डा.अनिल जाटव व आरएपीपी चिकित्सालय अधीक्षक आरके गुप्ता समेत चिकित्सकों की बैठक आयोजित की गई। इसमें बीएसएमओ ने आरएपीपी में कार्यरत कर्मचारियों व श्रमिकों की जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रावतभाटा में आरएपीपी समेत सहायक कंपनियों में अधिकारी, कर्मचारी, सुरक्षाकर्मियों समेत हजारों लोग कार्य करते है। ऐसे में इनकी नियमित जांच आवश्यक है।