
परिजनों के साथ लापता बालिका।
कोटा . डेढ़ साल पहले परिवार से बिछुड़ी विमंदित युवती को अपना घर आश्रम से परिजनों को सौंप दिया गया। करीब डेढ़ साल पहले सुनीता 1 मई 2016 को झालावाड़ में बदहवास हालत में मिली थी। उसके चेहरे घाव थे। हाथ टूटे हुए थे। सिर में चोट थी। वहां से उसे सामाजिक कायज़्कताज़् शैलेन्द्र यादव की सूचना पर अपनाघर टीम इसे कोटा लाई थी।
एमबीएस अस्पताल में उपचार के बाद उसे अपना घर आश्रम में रखा गया। धीरे-धीरे स्वास्थ्य सुधार हुआ तो सुनीता ने गांव का नाम सतवाड़ी बताया। इसी एक नाम के आधार पर नसिंज़्गकमीज़् अब्दुल कादिर, सुरभि वमाज़् ने परिवार की तलाश शुरू की। खरगौन पुलिस के माध्यम से सुनीता के घर सूचना भिजवाई तो मां मांगी देवी व भाई सुनीता को लेने के लिए आश्रम पहुंचे। सुनीता को देखकर मां व भाई के खुशी के आंसू छलक पड़े। मां ने बताया कि सुनीता शादीशुदा है। मानसिक स्थिति खराब होने के कारण पति ने छोड़ दिया। करीब डेढ़ साल पहले वे सुनीता को क्षेत्र के स्थान पर उपचार के लिए ले गए थे, वहीं से वह बिछड़ गई थी। बहुत तलाशा, लेकिन कहीं भी पता नहीं चला। बेटी के गम में पिता बीमार हो गए।
आठ वषीज़्य बालिका मिली तो परिजनों के खिले चेहरे
गुमानपुरा थाना क्षेत्र में 13 अक्टूबर 2017 को चाइल्ड लाइनको मिली 8 वषीज़्य बालिका को आखिरकार गुरुवार को उसके माता-पिता मिल ही गए। शहर समन्वयक भूपेन्द्र गुजज़्र ने बताया कि 13 अक्टूबर को चाइल्ड लाइन की अल्का अजमेरा को 8 वषीज़्य एक बालिका मिली थी जो सिफज़् नाम ही बता पा रही थी। इस पर चाइल्डलाइन ने बालिका को बाल कल्याण समिति कोटा के समक्ष प्रस्तुत कर उसे बालिका गृह में आश्रय दिलवाया।
इसके बाद टीम ने बालिका से काउंसलिंग जारी रखी तो कुछ दिन बाद बालिका ने अपने घर के बारे में जानकारी दी और बताया कि वह चावला सकिज़्ल के पास रहती है। इस पर टीम उसे चावला सकिज़्ल पर लेकर पहुंचे तो वहां पर कुछ लोगों ने उस बालिका को पहचान लिया और उसके घर ले गए, लेकिन उस समय उसके माता-पिता मजदूरी करने गए हुए थे। इस पर टीम ने पड़ौसी को उनकी बच्ची बाल कल्याण समिति में होने की जानकरी दी। इसके बाद जैसे ही उसके माता-पिता वहां पहुंचे तो बच्ची उन्हें देख गले गए गई। इसके बाद उनके दस्तावेजों की जांच कर बालिका को परिजनों के सुपज़्द कर दिया गया।
Published on:
30 Dec 2017 11:14 pm
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