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सरकार ने ऋणी सदस्यों को बकाया जमा कराने के लिए एकमुश्त समझौता योजना भी चलाई, लेकिन ज्यादार किसानों ने इसमें रूचि नहीं ली।
केवल ये बैंक बांट सकेंगे लोन
प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक नागौर, बीकानेर, बालोतरा, बिलाड़ा, जोधपुर एवं चित्तौडगढ़ कर्ज बांट सकेंगे। एसएलडीबी ने दीर्घकालीन ऋण ब्याज दरें भी बढ़ाकर 12 प्रतिशत के बजाय 12.85 प्रतिशत कर दी है।
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यहां औसत से कम वसूली कोटा, बूंदी, बूंदी, हिण्डौन, जैसलमेर, जयपुर, उदयपुर, सवाईमाधोपुर, प्रतापगढ़, भरतपुर, धौलपुर, सिरोही, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाडा, पाली एवं जालौर भूमि विकास बैंकों की वसूली औसत 6.89 प्रतिशत से भी कम रही है।
एसएलडीबी के प्रबंध निदेशक विजयकुमार शर्मा ने सभी प्राथमिक बैंकों के सचिवों को पत्र भेज वसूली लक्ष्य पूरा नहीं करने के बावजूद ऋण बांटने को वित्तीय अनुशासनहीनता बताया। कहा कि बैंक ऋणियों से वसूली राशि को राज्य बैंक को ‘पासऑन’ नहीं कराकर, इसका उपयोग ऋण वितरण में कर रहे हैं, यह वित्तीय अनुशासनहीनता है।