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हॉस्टल संचालकों के खिलाफ 200 शिकायतें प्रशासन के पास पहुंची

शहर में सैकड़ाें हॉस्टल संचालित हैं और इनमें हजारों की संख्या में विद्यार्थी रहते हैं, लेकिन ज्यादातर हॉस्टल किराया कानून की पालना नहीं कर रहे। मनमर्जी से बीच सत्र में किराया बढ़ा देेते हैं। इसके अलावा समय रहते हॉस्टल का कमरा खाली करने की सूचना देने के बाद भी अमानत राशि वापस नहीं लौटाई जा रही है।

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FRAUD: क्या फर्जी दस्तावजों से खरीदी जमीन पर बनी है पूरी सोसायटी ?

कोटा. शहर में सैकड़ाें हॉस्टल संचालित हैं और इनमें हजारों की संख्या में विद्यार्थी रहते हैं, लेकिन ज्यादातर हॉस्टल किराया कानून की पालना नहीं कर रहे। मनमर्जी से बीच सत्र में किराया बढ़ा देेते हैं। इसके अलावा समय रहते हॉस्टल का कमरा खाली करने की सूचना देने के बाद भी अमानत राशि वापस नहीं लौटाई जा रही है। जिला प्रशासन को लगातार इस तरह की शिकायतें मिल रही है। हाल ही में करीब 200 से ज्यादा शिकायतें ई-मेल पर जिला प्रशासन को मिल चुकी हैं। कई मामलों में विद्यार्थी को एक दो सप्ताह में खाते राशि ट्रांसफर करने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं करते। इससे कोटा की छवि खराब हो रही है। कई हाॅस्टल संचालक स्टूडेंट का फोन नहीं उठाते और कई ने नम्बर ही ब्लॉक कर दिया है। एडीएम सिटी बी.एम बैरवा ने बताया कि 70 प्रतिशत से ज्यादा शिकायतें मनमाना किराया बढ़ाने की हैं, बाकी शिकायतें अमानत राशि नहीं लौटाने की हैं। हॉस्टल से जुड़ी समस्याओं के निस्तारण के लिए प्रशासन ने गाइडलाइन तैयार की है। शिकायतों के बारे में जिला कलक्टर हरिमोहन मीना ने बताया कि यह बात सही है कि इस तरह की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। किराया अधिनियम के अनुसार 11 माह से पहले किराया नहीं बढ़ाया जा सकता है। 11 माह बाद भी किरायेदार की सहमति से अधिकतम 5 प्रतिशत ही किराया बढ़ाया जा सकता है।

अब ये गाइड लाइन तैयार

1. अमानत राशि लौटानी होगी: राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम 2001 की धारा 6 के प्रावधानों के तहत 1 माह पहले नोटिस या पूर्व सूचना दिए जाने पर अमानत राशि लौटाने का प्रावधान है। इस नियम का सभी हॉस्टल संचालकों को पालन करना अनिवार्य होगा। यदि कोई विद्यार्थी 30 दिवस से कम अवधि में पूर्व सूचना देकर कमरा खाली करना चाहता है तो मानवीय आधार पर राशि लौटाने की कार्रवाई कराई जाएगी। छात्रों को हॉस्टल में रहते हुए यदि 11 माह पूरे कर लिए हैं और आगे रहना चाहते हैं तो राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत आपसी सहमति से 5 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी की जा सकती है। किराया अधिनियम की पालना नहीं किए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
2. साफ-सफाई और गुणवत्ता का भोजन देना होगा: कई हॉस्टल संचालक साफ-सफाई सही तरह से नहीं करवाते हैं। मैस में भी सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इससे छात्रों को पौष्टिक भोजन एवं उपयुक्त पढ़ाई का माहौल नहीं मिल पाता। हॉस्टल मैस और परिसर में साफ सफाई का ध्यान रखेंगे। छात्रों को तय गुणवत्ता पूर्वक भोजन उपलब्ध कराएंगे।

3. अग्निशमन एवं विकास की व्यवस्था: अग्निशमन अधिकारी ने अवगत कराया है कि वर्तमान में कई हॉस्टल में आग बुझाने के इंतजाम नहीं हैं। हॉस्टल में एक ही गेट है। उन्हें वैकल्पिक निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। जो हॉस्टल संचालक निर्देशों की अवहेलना करेंगे, उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
4. काउंसलर की व्यवस्था: सभी बड़े हॉस्टल संचालकों को निर्देश प्रदान किए गए हैं कि वे अपने हॉस्टल में काउंसलर नियुक्त करें ताकि छात्र-छात्राओं से लगातार संवाद कायम करके मानसिक संबल प्रदान कर सकें। हॉस्टल वार्डन को भी काउंसलिंग का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि बच्चों के व्यवहार के परिवर्तन काे समय रहते पहचाना जा सके।

5. कार्मिकों का पुलिस सत्यापन: हॉस्टल में कार्य करने वाले कार्मिकों का पुलिस सत्यापन कराना होगा। उनकी पहचान के प्रमाण भी रखने होंगे।
6. संवाद कायम रखना: हॉस्टल संचालक वहां रहने वाले छात्रों से लगातार संपर्क में रहेंगे। अभिभावकों से भी आवश्यकता अनुसार संवाद बनाए रखेंगे। कई हॉस्टल संचालकों ने अपने हॉस्टल लीज पर दे रखे हैं, ऐसे असल मालिक को भी समय-समय पर जाकर छात्र-छात्राओं संवाद करना होगा।


पहले भी लागू की गाइडलाइन, लेकिन नहीं सुधरे हालात

इससे पहले भी पिछले सालों में हॉस्टल और कोचिंग के लिए गाइडलाइन बनाई गई, लेकिन उसकी पालना नहीं हो पाई। जिला कलक्टर के बदलते ही गाइड लाइन का पर्यवेक्षण नहीं किया गया। अब फिर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद नए सिरे से जिला कलक्टर हरिमोहन मीना ने हॉस्टल संचालकों के साथ बैठक करके नई नीति तैयार की है।

गाइडलाइन की पालना करना कोटा के हित मेंं है। हॉस्टल संचालक इसकी पालना करेंगे तो उनकी अच्छी छवि पूरे देश में बनेगी। जल्द कोचिंग संचालकों के साथ भी बैठक करके सरल वापसी नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।
-हरिमोहन मीना, जिला कलक्टर, कोटा