
Patients drink dirty water at New Medical College kota
पूरे देश में साफ-सफाई को लेकर अभियान चल रहा है। गांव से लेकर शहर तक, गली मोहल्ले से लेकर सरकारी दफ्तरों, आम जन के रोजाना आवागमन वाले कार्यालयों तक की सफाई की जा रही है। लेकिन न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के वाटर कूलरों की एक जमाने से सफाई नहीं हुई है। जिसके चलते हॉस्पिटल आने वाले मरीज और तीमारदारों को मजबूर गंदा पानी ही पीना पड़ रहा है।
महीनों से नहीं हुई सफाई
न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के वार्डों करीब एक दर्जन वाटर कूलर लगे हुए हैं। इनमें से अधिकांश वाटर कूलर भामाशाहों ने लगवा रखे हैं। जिनकी अस्पताल प्रशासन समय पर सफाई भी नहीं करवा पा रहा है। यहां लगे करीब-करीब सभी वाटर कूलरों की सफाई हुए महीने बीत गए। जिनके टेंक के पेंदे में काई की परत जमी हुई है। वही कई वाटर कूलरों की काई काली पड़ चुकी है। जिन वाटर कूलरों से ही मरीज तीमारदार पानी भर कर पी रहे हैं।
लाखों रुपए होते हैं सफाई पर खर्च
न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की सफाई व्यवस्था पर हॉस्पिटल प्रशासन लाखों रुपए खर्च करता है। अस्पताल के वार्डों, गैलरी, आेपीडी रूम आदि की रोजाना सफाई होती है, लेकिन वाटर कूलर की साफ-सफाई की ओर अस्पताल प्रशासन का बिलकुल भी ध्यान नहीं है। हालांकि इनके रखरखाव और सफाई पर भी हॉस्पिटल मैनेजमेंट मोटी रकम खर्च करने का दावा करता है।
वार्ड स्टॉफ है जिम्मेदार
अधीक्षक, न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय कहते हैं कि जिस वार्ड के सामने वाटर कूलर लगा है। उसके रखरखाव के लिए वार्ड स्टॉफ को अधिकृत कर रखा है। अगर कोई वाटर कूलर खराब होता है। सफाई नहीं होती है तो वे रिपोर्ट करते हैं। तत्काल ठीक करवा देते हैं। लेकिन अभी तक किसी भी वार्ड स्टाफ ने एक भी वाटर कूलर के बारे में शिकायत नहीं की। वाटर कूलरों में गंदगी जमा है तो मामला गंभीर है। दिखवाता हूं। सुबह ही सबकी सफाई करवा दूंगा।
Updated on:
26 Sept 2017 01:51 pm
Published on:
26 Sept 2017 01:50 pm
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