
नगर निगम की ओर से आयोजित 124 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में विजयश्री रंगमंच के सामने तीनों पुतले खड़े किए गए थे। रावण का पुतला 72 फीट का और कुम्भकरण व मेघनाद के पुतले 45-45 फीट के थे।

गढ़ पैलेस से भगवान लक्ष्मी नारायणजी की सवारी के रंगमंच पर पहुंचने के बाद पूजा-अर्चना की गई। इधर, सवारी आने के बाद पूजा-अर्चना चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ स्टेज पर अतिथि सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने में मगन थे।

रावण दहन का निर्धारित मुहूर्त 7.21 से 7.41 के बीच था लेकिन दहन करीब एक घंटा देरी से 8.41 बजे शुरू हुआ।

अंत में 8.45 बजे रावण के पुतले ने जैसे ही आग पकड़ी, लोगों का उत्साह देखते ही बना। करीब 3 मिनट में 8.48 बजे तक रावण का पुतला भी खाक हो गया। कुल जमा सात मिनट में रावण का पूरा कुनबा खाक हो गया।

सबसे पहले रात 8.41 बजे कुम्भकरण का पुतला जलना शुरू हुआ, तीन मिनट में खाक हो गया।

कुम्भकरण का पुतला जलना शुरू हुआ।

कुम्भकरण का पुतला जल कर खाक हुआ।

इसके बाद 8.44 बजे मेघनाद का पुतला जलना शुरू हुआ जो मात्र 1 मिनट में खाक हो गया।

इसके बाद करीब 20 मिनट से भी अधिक समय तक आतिशबाजी होती रही जिसका लोगों ने आनंद लिया।

राष्ट्रीय स्तर के दशहरा मेले में जहां हर बार पूरा परिसर रोशनी से जगमगाता रहता था, इस बार रावण दहन स्थल से लेकर पूरे मैदान में कम रोशनी लोगों को अखरी।

मैदान में चल रहे निर्माण कार्य के कारण लाख प्रयास के बावजूद निगम लोगों़ को छूल से राहत नहीं दे सका। रावण दहन देखने आए लोग मैदान में उड़ रहे धूल के गुबार से खासे परेशान दिखे। कम रोशनी व धूल को देखकर लोगों का कहना था कि यह किसी गांव के मेले जैसा लग रहा है।