
विनीत सिंह. कोटा . कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा का कहना है कि प्री-बीएसटीसी प्रवेश परीक्षा का आयोजन सिर्फ इसलिए नहीं करा रहे, क्योंकि उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। वहीं विवि के तीनों प्रोफेसरों ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यदि उन्हें प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती तो वह किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटते।
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राजस्थान सरकार ने कोटा विश्वविद्यालय को प्री-बीएसटीसी 2018 प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन कुलपति ने सरकार से यह जिम्मेदारी को किसी और विश्वविद्यालय को सौंपने की मांग की है। राजस्थान पत्रिका ने जब इस फैसले की वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि प्री-बीएसटीसी की प्रवेश परीक्षा सिर्फ इसलिए लौटा रहा हूं क्योंकि 10 मई को मेरा कार्यकाल खत्म हो जाएगा। इसके बाद कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? इसे देखते हुए मैंने सरकार को स्पष्ट स्थिति बता दी है।
अब कार्यकाल बढ़ाना और न बढ़ाना या फिर किसी और विश्वविद्यालय को प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी देने का फैसला उन्हें करना है। कहीं स्टाफ और आर्थिक संसाधनों की कमी इसकी वजह तो नहीं है, पूछने पर उन्होंने कहा कि 'स्टाफ की कमी दूर करना और विवि को फंड दिए जाने की मांग दूसरे मंचों पर उठा चुके हैं। सरकार को लिखित में भी दे चुके हैं, लेकिन प्री बीएसटीसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
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अकेले उनका फैसला
प्री-बीएसटीसी न कराने का फैसला कुलपति ने खुद ही लिया। इस बारे में न तो उन्होंने बोम और ना ही विश्वविद्यालय के शिक्षकों और स्टाफ से कोई सलाह ली। प्रो. एनके जैमन, प्रो. आशू रानी और प्रो. रीना दाधीच ने भी कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनसे इस परीक्षा की जिम्मेदारी लेने के बारे में एक बार भी नहीं पूछा।
छात्रों ने किया प्रदर्शन
कुलपति के मनमाने फैसले का विरोध करते हुए एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को उनका घेराव किया। आंख, मुंह और कान पर पट्टी बांधे हुए छात्रों ने विरोध में तख्ती लटका रखी थी। छात्र नेता प्रवीण सिंह हाड़ा और रवि मेवाड़ा ने कहा कि बीएसटीसी के बहाने कुलपति अपना कार्यकाल बढ़वाने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
Published on:
25 Jan 2018 11:17 am
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