
Protest against system of BEd internship in rajasthan
बीएड कर रहे छात्रों को पढ़ाई के आखिरी तीन महीने टीचिंग की प्रेक्टिकल ट्रेनिंग लेनी होती है। कुछ सालों पहले तक यह छात्र निजी स्कूलों में इंटर्नशिप कर अपनी पढ़ाई पूरी कर लेते थे, लेकिन इसी बीच प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए बीएड छात्रों को सरकारी स्कूल में इंटर्नशिप कराना अनिवार्य कर दिया। सरकार के फैसले के बाद जिले को शहरी और ग्रामीण हिस्सों में बांट कर रिक्त पदों के आधार पर छात्रों से च्वाइस मांगी जाती और लॉटरी के जरिए उन्हें स्कूल आवंटित कर दिए जाते।
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जयपुर ने अड़ाई टांग
सरकार के नए आदेश से सरकारी स्कूलों में कुछ समय के लिए ही सही शिक्षकों की कमी तो दूर हुई साथ ही बीएड छात्रों को सरकारी सिस्टम में काम करने का भी अनुभव मिलने लगा। हालांकि यह बात जयपुर में बैठे शिक्षा विभाग के आला अफसरों को रास नहीं आई और उन्होंने बीएड छात्रों की इंटर्नशिप के लिए स्कूल आवंटन का काम जिलों से छीनकर जयपुर में सेंट्रलाइज कर दिया। जयपुर में बैठे अधिकारियों ने बिना भौगोलिक परिस्थितियां जाने शाला दर्पण व शाला दर्शन पोर्टल पर दूर-दराज के गांवों के विद्यालय के खाली पड़े पदों पर मनमर्जी से आवंटित कर दिए। इससे व्यवस्था बिगड़ गई।
गर्भवती छात्राओं को लगाया 100 किमी दूर
जयपुर से इंटर्नशिप आवंटन के बाद हाल यह हुआ कि कोटा की एक गर्भवती छात्रा को शहर से 100 किमी दूर स्थित गांव के एक स्कूल में इंटर्नशिप आवंटित की गई। जबकि शहर के तमाम स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। ऐसे ही इटावा की सीमा मीणा को खातौली से करीब 20 किमी दूर अंदरूनी क्षेत्र में निमोला विद्यालय आवंटित कर दिया। यह विद्यालय सीमा के घर इटावा से 40 किमी दूर पड़ रहा है। जबकि इटावा में ही शिक्षकों की कमी के चलते स्कूल बंद करने पड़ रहे हैं। ऐसे ही सांगोद के निशांत गोचर ने सांगोद ब्लॉक में विद्यालय की च्वाइस भरी थी, लेकिन उसे 22 किमी दूर झालावाड़ जिले के पनवाड़ क्षेत्र के खजूरी होदपुर आवंटित कर दिया। यह तो महज बानगी है अधिकांश बीएड छात्रों के साथ इसी तरह का खिलवाड़ किया गया है।
छात्रों ने खोला मोर्चा
शिक्षा विभाग के मनमाने फैसले के खिलाफ बीएड छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने रैली निकाल कर और कोटा कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर दूरदराज के स्कूल आवंटित करने का विरोध किया। विरोध जता रही छात्रा पूर्वा खंडेलवाल ने कहा कि यह सरकार को तानाशाहीपूर्ण फैसला है, इसे तत्काल बदलना चाहिए। संगीता राठौर ने कहा, सरकार ने बिना सोचे-समझे यह फैसला कर दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय गए तो वहां भी कर्मचारियों ने ठीक से बात नहीं की। अब उन्हें मजबूरन आंदोलन करना पड़ा। प्रदर्शन के बाद उन्होंने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। छात्रों ने कहा कि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती तो वह सरकारी स्कूलों में इंटर्नशिप नहीं करेंगे।
Published on:
23 Sept 2017 09:20 am
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