
शादाब अहमद/कोटा. Rajasthan Assembly Election 2023: कोटा शहर से होकर मैंने ग्रामीण इलाकों की ओर रुख किया। जैसे-जैसे कोटा से दूर होता गया, वैसे-वैसे चमचमाती सडक़ें खस्ताहाल और धूल के गुबार उड़ाने वाली होती चली गई। फोरलेन हाईवे से ढाबादेह होते हुए हीरियाखेड़ी वाली सडक़ से रामगंजमंडी जाते समय गड्ढों के चलते कार में कई बार हिचकोले खाए। वहीं आगे चलने वाले ट्रक व अन्य वाहनों के पहिये कोटा स्टोन मलबे की धूल उड़ाते रहे। इस तरह हाड़ौती के सबसे बड़े कोटा स्टोन खनन क्षेत्र को पार करते हुए रामगंजमंडी के सामुदायिक अस्पताल पहुंच गए।
75 बेड की मंजूरी वाले इस अस्पताल में कभी 50 से ज्यादा बेड नहीं लग सके हैं। सर्जन नहीं होने के चलते ऑपरेशन थियेटर को स्टोर बना दिया गया है। यहां ऑपरेशन बेड पर कई अन्य उपकरण रखे हुए मिले। कई महंगे चिकित्सा उपकरण पैक किए हुए ही रखे हैं। एक महिला मरीज के तीमारदार गोपाल बैरागी बोले, अस्पताल में ऑपरेशन होते ही नहीं हैं। कस्बे की आबादी और कोटा मुख्यालय से दूरी के चलते यहां सैटेलाइट अस्पताल बनाने की जरूरत है। मुख्य बाजार में मिले पंकज पारेता कहने लगे, मुख्यमंत्री ने 19 जिले बना दिए, लेकिन रामगंजमंडी की उपेक्षा की है। करीब 850 करोड़ रुपए का राजस्व यहां से मिलता है, कोटा से दूरी भी अधिक है। लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर इसे जिला बनाना चाहिए।
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ये बिजली के तार नहीं ‘साब’
सांगोद विधानसभा के हिंगोनिया में कालूलाल बिजली के खंभों पर झूलते पाइप दिखाते हुए बोले, ‘साब’ यह बिजली के तार नहीं है, यह ट्यूबवैल वाले मकानों से दूसरे मकानों में जा रहे पानी के पाइप हैं। इससे पानी भरने के तीन सौ रुपए महीना चुकाना पड़ता है। यहां पानी की समस्या है, टंकी बने एक साल हो गया, उसे अब तक चालू नहीं किया गया है। वृद्ध मोहनलाल कहने लगे, उनके पास खेत नहीं है। सरकार एक बीघा वाले किसान के खाते में रुपए डालती है, लेकिन भूमिहीन व मजदूरों के लिए कुछ नहीं करती है। सांगोद में किसान लालचंद शर्मा का कहना है कि परवन सिंचाई परियोजना का काम धीमा चल रहा है। किसानों से समय पर समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद नहीं की जाती है, जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है। बिजली बिलों में भी छूट मिलने की बात सुनी है।
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आती-जाती रहती है बिजली
पीपल्दा विधानसभा के इटावा में दुकानदार भूपेन्द्र गर्ग बोले, बिजली कभी भी चल जाती है। मोबाइल से महंगाई राहत शिविर के बारे में पता लगता रहता है। बिजली के बिल में सब्सिडी पूरी आ रही है। सीसी सडक़ें बनी हैं। वहीं, वृद्ध किसान राधेश्याम मीणा ने बताया कि उसकी दो बीघा जमीन है। ओलावृष्टि से हर साल नुकसान हो रहा है। मुआवजा कभी भी समय पर नहीं मिलता है। दो हजार रुपए मुआवजा मिला है, जबकि नुकसान इससे कहीं अधिक हुआ था।
Published on:
04 Jun 2023 08:25 am
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