हुई हल्दी और मेहंदी की रस्म, पेड़ों की मिलवाई गई कुंडली
शादी से पहले आम विधि-विधान जैसे दोनों पेड़ों की कुंडली मिलवाई गई। इसके बाद हल्दी और मेहंदी की रस्म कार्यक्रम हुआ। विवाह के लिए बरगद के पेड़ को दूल्हा और पीपल के पेड़ को दुल्हन की तरह सजाया गया। इस मौके पर महिलाओं ने मंगल गीत गाए और गोधूलिक वेला मुहूर्त में पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया। विवाह के बाद भंडारे का भी आयोजन किया गया। ग्रामीणों ने शादी को संपन्न कराने में बढ़-चढ़कर भाग लिया और हजारों भक्त पाणिग्रहण संस्कार के साक्षी बने।
हिंदू धर्म में पीपल और बरगद का है विशेष स्थान
विवाह संपन्न होने बाद बातचीत में पंडित ने बताया कि हिंदू रीति-रिवाज में पीपल, बरगद पेड़ और तुलसी के पौधे का विशेष स्थान है। हिंदूं धर्म में धार्मिक कार्यों के लिए पीपल और बरगद के पेड़ को पवित्र माना जाता है। शादी के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण हो जाती है और यह बंधन बांधने और पूजा करने के लिए पवित्र माना जाता है। इसके अलावा, आचार्य कहते हैं कि हिंदू शास्त्रों में बरगद के पेड़ और पीपल के पेड़ का विवाह समाज का भला करता है।