प्रथमपीठ युवराज मिलन कुमार गोस्वामी ने बताया कि पुष्टिमार्ग में ठाकुरजी की सेवा साक्षात स्वरूप में ही की जाती है। ऐसे में जिस प्रकार से आम व्यक्ति का खान-पान और पहनावा बदलता है। उसी अनुरूप ठाकुरजी के खान-पान और पहनावे में भी बदलाव आता है। नवरात्र से हल्की गुलाबी ठंड की शुरुआत मानते हुए पुष्टिमार्ग में ठाकुरजी के सेवा क्रम को भी बदल दिया जाता है।मंगला दर्शन के बाद प्रभु को चन्दन, आंवला एवं सुगन्धित तेल फुलेल से अभ्यंग स्नान कराया जाता है।शृंगार आभरण सेवा में प्रभु को वनमाला से चरणारविन्द तक का भारी शृंगार किया जाता है। कंठहार, बाजूबंध, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी हीरा, पन्ना, माणक, मोती एवं नीलम के जड़ाव स्वर्ण के धराए जा रहे हैं।
भोग सेवा में हुआ बदलाव
ठाकुरजी की भोग सेवा के तहत गोपीवल्लभ भोग में चन्द्रकला (सूतर फेणी), दूधघर में केसर युक्त बासोंदी की हांडी, राजभोग में अनसखड़ी में दाख का रायता और भोग आरती में तला हुआ मेवा आरोगाया जाता है। साथ ही, सखड़ी में केसरी पेठा व मीठी सेव खडंरा प्रकार इत्यादि का भोग लगाया जाता है।