
कोटा . सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई के बाद नालियों में बहा दिए जाने वाले हजारों लीटर गंदे पानी को अब रीसाइकिल कर दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा। स्मार्ट सिटी के तहत इसके लिए बॉयो-सॉइल स्केप फिल्टर प्लांट स्थापित किए जाएंगे। इससे न सिर्फ जल संरक्षण होगा, बल्कि शौचालयों के आसपास खूबसूरत पौधे लगा माहौल सुंदर बनाया जाएगा।
प्रायोगिक तौर पर एमबीएस अस्पताल, सीएडी चौराहा और मोटर मार्केट स्थित शौचालयों में प्लांट का काम शुरू भी हो गया है। कोटा में 133 से ज्यादा सार्वजनिक शौचालय हैं। एक शौचालय में रोज औसतन 5000 लीटर से ज्यादा पानी खर्च होता है। इसका 95 फीसदी हिस्सा सप्टिक टेंक से ओवरफ्लो होकर नाली-नालों के रास्ते चम्बल में मिल इसे प्रदूषित कर रहा।
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ऐसे होगा फिल्टर
शौचालय के फर्श पर एक लंबे बॉक्सनुमा सीमेंट का खांचा तैयार किया जाएगा। इसके तल में छोटी-छोटी कंकडिय़ा भरने के बाद उनके ऊपर बारीक पिसी हुए रेत की मोटी परत बिछाई जाएगी। इसके ऊपर इन दोनों परतों के बराबर मोटी बायो एक्टिव सॉइल परत बिछेगी। इसके बाद भी करीब आधा हिस्सा गंदा पानी भरने के लिए खाली छोड़ा जाएगा। सेप्टिक टेंक से ओवर फ्लो गंदे पानी को पंप के जरिए ऊपर खींचकर बायो-सॉइल फिल्टरेशन प्लांट में डाला जाएगा। रीसाइकल पानी अलग वॉटर टेंक में इक_ा कर लिया जाएगा जहां से इसका दोबारा शौचालय में इस्तेमाल होगा। इसी पानी से गार्डन की सिंचाई भी होगी।
रोज बचेगा 4000 लीटर पानी
नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मिलकर ये प्लांट स्थापित कर रहे हैं। पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा ने बताया कि प्लांट ऑर्गेनिक एंड सॉइल फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी पर काम करेगा। प्लांट वाले शौचालय में 80 फीसदी पानी दुबारा इस्तेमाल हो सकेगा, रोजाना 4000 लीटर साफ पानी बचेगा।
तीन शौचालय होंगे मोडिफाई
अधीक्षण अभियंता, नगर निगम के प्रेम शंकर शर्मा ने बताया कि एक शौचालय को मोडिफाई करने में एक लाख रुपए का खर्च आएगा। अभी तीन में प्लांट लगा रहे, टेंडर खोले जा चुके। अप्रेल में काम पूरा कर लिया जाएगा। प्रयोग सफल रहा तो सभी सार्वजनिक शौचालयों में प्लांट लगाएंगे।
Published on:
20 Mar 2018 12:08 pm
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