
कोटा. पांच से दस दशक पहले सत्ता व शासन संभाल रहे राजनीतिक नेतृत्व ने कोटा के लिए जो विजन तैयार किया, उस पर अमल हो रहा है। भविष्य दृष्टि के कारण ही मां चम्बल की धरा पर कोटा इतना फला-फूला कि अब प्रदेश का तीसरा बड़ा शहर बनते हुए विकास के नए आयाम छू रहा है। कोटा की इस विकास यात्रा में राजस्थान पत्रिका भी 35 साल से सहभागी रहा है। बीते दशकों में कोटा कितना बदल गया है, यह राजनीतिक नेतृत्व की परिकल्पना का सुखद नतीजा ही है। बीते दशकों में पत्रिका ने कोटा की हर धड़कन, उतार-चढ़ाव को देखा और गहराई से समझा। विकट हालात में भी कोटा मजबूती से उठ खड़ा हुआ। व्यवसाय में चुनौतियां आई कोटा के उद्योग व बाजार ने समय अनुसार कई बदलाव भी किए। औद्योगिक शहर से कोचिंग हब बनने तक के सफर में कोटा अब परिपक्वता की ओर बढ़ चुका है। पिछले कुछ दशकों में कोटा शहर का फैलाव भी कई गुना बढ़ा है। महानगरों की तर्ज पर कोटा आधुनिकता की चकाचौंध जैसे हर विकास को छू रहा है। ऐसा लग रहा है कि मां चम्बल के आंचल मेंं सुकून, शांति एवं समृद्धि पाने को हर कोई कोटा शहर में रचना-बसना चाह रहा है। कोटा आने वाले 50 के दशक में कैसा होगा, अब शासन-प्रशासन को इस परिकल्पना के अनुसार काम करना होगा। नगर विकास न्यास एवं स्मार्ट सिटी योजना के अन्तर्गत करोड़ों लागत से जिस गति पर कोटा का विकास हो रहा है। उस लिहाज आने वाले कुछ सालों में कोटा की तस्वीर ही बदल जाएगी। मेमू ट्रेन, मेट्रो कोटा से बारां-बूंदी-झालावाड़ के बीच शटल ट्रेनों का संचालन बढ़ेगा। अधिकतर कार्यों एवं सेवाओं में टेक्नोलॉजी का प्रभाव दस गुना बढ़ जाएगा। चम्बल नदी पर रिवरफ्रंट, शहर में ट्रेफिक सिग्नल रहित सड़कें, मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व में वाइल्डलाइफ का रोमांच, चम्बल नदी में क्रूज व वाटर स्पोटर्स जैसे विकास कार्य एवं सेवाएं विकसित होने से पर्यटन उद्योग में तेजी से वृद्धि होगी। अन्तरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट बनने से कोटा सीधे दुनिया के नक्शे पर आ जाएगा। चम्बल की सुन्दर कहराइयों, जामुनिया टापू एवं हरियाली से आच्छादित अकूत प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण फिल्मों की शूटिंग में भी कोटा छा जाएगा। कोटा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग का एक महत्वपूर्ण शहर है। कोटा कोचिंग, कोटा स्टोन, कोटा डोरिया और कोटा कचोरी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह माध्य समुद्र तल से 253.3 मीटर की ऊंचाई पर चम्बल नदी के किनारे बसा हुआ है। यह जयपुर, दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य शहरों से रेलवे लाइन से सीधा जुड़ा हुआ है। यहां दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन का ए श्रेणी को बड़ा जंक्शन है। यहां दिल्ली करीब 470 और मुंबई 920 किमी दूर है। राज्य की राजधानी जयपुर से 240 किमी दूर है। पिछले दशकों में कोटा का विकास तेजी से होने लगा है। सुखद बात यह भी कि कोटा के विकास के लिए जो योजनाएं बनाई हैं उनके पूरा होने पर वर्ष 2050 तक के लिए पर्याप्त संसाधन पर्याप्त होंगे। इनमें सड़क, नगरीय परिवहन, पेयजल, चिकित्सा और राजमार्ग और रेलमार्ग से कनेक्टीविटी शामिल है। हवाई सेवा के प्रयासों सफलता मिलने पर विकास को और गति मिलेगी।
भविष्य की जरूरतों की पूरा करने की योजना
्रकोटा शहर में जनसंख्या का घनत्व अधिक है। आने वाले समय की जरूरत को देखते हुए नगर विकास न्यास की ओर से कई आवासीय योजनाओं का विकास किया जा रहा है। अभी तक बारां रोड और झालावाड़ रोड पर विकास हुआ, लेकिन पिछले दशक में बूंदी रोड और नदी पार क्षेत्र में तेजी से आबादी बढ़ी है। आगे 50 साल की जरूरत को देखते हुए नगर विकास न्यास की ओर से शंभूपूरा ग्रोथ सेन्टर विकसित किया जा रहा है। इस क्षेत्र में नया हवाई अड्डे का निर्माण प्रस्तावित है। इस क्षेत्र में मोहनलाल सुखाडिय़ा नगर भी बसाया जाएगा। इसमें विभिन्न श्रेणी के करीब 2 हजार भूखंड हैं। वहीं इसके पास कई मल्टीस्टोरी आवासीय योजनाओं की अन्य कई योजनाएं भी विकसित की जा रही हैं। नगर विकास न्यास की ओर से शहर के विस्तार के लिए भी योजना पर कार्य चल रहा है। इसके तहत रानपुर व शंभूपुरा को ग्रोथ सेन्टर के रूप में विकसित किया जाएगा। इन्हें पृथक योजना क्षेत्र माना जाएगा। रानपुर को रोजगारोन्मुखी नियोजित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां वाणिज्यिक, भण्डारण, गोदाम, सेटेलाइट अस्पताल, बस अड्डा, ट्रक टर्मिनल, सामुदायिक सुविधाएं विकसित की जाएगी।
विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं बढ़ेगी
कोटा मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों का विस्तार किया जा रहा है। सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक बनने के बाद अब जेकेलोन परिसर में 156 बेड का नया अस्पताल बन रहा है। वहीं एमबीएस अस्पताल में नए ओपीडी ब्लॉक के साथ संक्रामक बीमारियों के उपचार के लिए नया ब्लॉक बनाया जाएगा। वहीं इस बार बजट में कोटा में नया जिला अस्पताल बनाने की घोषणा हो चुकी है। इसके अलावा निजी और सरकारी चिकित्सा संस्थानों को के लिए 160 एकड़ भूमि पर चिह्नित है। करीब 8 एकड़ भूमि शंभूपुरा में चिकित्सा सेवाओं के लिए चिह्नित है। इसी तरह 102 एकड़ बारां सड़क दक्षिणी क्षेत्र में, 40 एकड़ बारां सड़क उत्तरी योजना में और 10 एकड़ भूमि रानपुरा क्षेत्र में चिकित्सा संस्थानों के लिए उपलब्ध है।
सुगम रहेगा ट्रेफिक, जाम से मिलेगी मुक्ति
आने वाले समय में कोटा शहर में विभिन्न जगहों पर लगने वाले जाम से मुक्ति मिलेगी। इसके लिए व्यस्त चौराहों पर फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण किया जा रहा है। कोटा जंक्शन से अनंतपुरा जाने वाली रोड को इस तरह विकसित की जा रहा है वहां किसी भी जगह सिग्नल लगाने की जरूरत नहीं पड़े। इसके लिए अंटाघर सर्किल, एरोड्राम सर्किल और गोबरिया बावड़ी सर्किल पर अंडरपास का निर्माण किया जा रहा है। वहीं इंदिरागांधी चौराहा गुमानपुरा, अनंतपुरा तिराहा पर फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। वहीं झालावाड़ रोड पर सिटी मॉल के सामने एलिवेटेड रोड का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा बोरखेड़ा फ्लाईओवर से आगे बारां रोड पर पेट्रोल पंप तक 140 करोड़ की लागत से नया एलीवेटेट रोड बनेगा। सर्किट हाउस तिरहा और कोटड़ी चौराहे पर भी इस तरह के विकल्प तलाशे जा रहे हैं कि यहां भी वाहनों को रुकना नहीं पड़े और किसी तरह का सिग्नल लगाने की जरूरत नहीं पड़े।
मार्च 2022 से पूरे 24 घंटे पेयजल आपूर्ति होगी
कोटा शहर के हर घर में मार्च 2022 से चौबीस घंटे पेजयल आपूर्ति होने लगेगी। 170 करोड़ रुपए की लागत से शहर के पेयजल सप्लाई तंत्र का रिनोवेशन कार्य प्रगति पर है। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की पहल पर पेयजल तंत्र सुदृढ़ीकरण कार्यों को समय पर पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है। जल वितरण व्यवस्था को सुधारने के लिए शुरू किए गए कार्यों को मार्च 2022 तक पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है। मार्च 2022 में गर्मियों का सीजन शुरू होने से पहले कोटा के लोगों को 24 घंटे पानी की आपूर्ति चालू हो जाएगी। जिसके लिए सकतपुरा के 130 एमएलडी के प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 200 एमएलडी का किया जा रहा है। अकेलगढ़ पम्पहाउस का रिनोवेशन किया जा रहा है। इसके अलावा श्रीनाथपुरम वाटर ट्रीटमेन्ट प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 50 एमएलडी की जा रही है। स्वायत्त शासन मंत्री ने बताया कि बरसात के समय चम्बल नदी में पानी की आवक ज्यादा होने पर टर्बिडीटी के कारण पेयजल सप्लाई बाधित होती थी इसका स्थाई समाधान भी नए प्रोजेक्ट में किया जा रहा है। अकेलगढ़ में फिल्टर प्लांट रिनोवेशन के साथ ही पुराने पम्पों को बदलने का कार्य हाथ में लिया गया है।
सीवरेज से जुड़ेंगे 32671 परिवार
राजस्थान नगरीय आधारभूत विकास परियोजना के तहत शहर में नई सीवरेज परियोजना चल रही है। इस परियोजना पर 525 करोड़ खर्च होंगे। कुल 376 किमी लंबी सीवरेज लाइन बनाई जाएगी। इस सीवरेज नेटवर्क से 32671 परिवारों को जोडऩे का लक्ष्य है। शहर में सीवरेज नेटवर्क निर्माण इन्द्रा कॉलोनी, मालारोड़, सरस्वती कॉलोनी, बजरंग नगर, बोरखेड़ा, प्रतापनगर, बारां रोड़ व देवली अरब रोड के दोनों ओर की अनुमोदित कॉलोनियों, कालातालाब, बापूनगर कुन्हाड़ी, बालिता, तलवंडी सेक्टर 1 से 5, महावीर नगर तृतीय में सेक्टर 1 से 10, महावीर नगर विस्तार में सेक्टर एक से 7, गणेश तालाब सेक्टर एक से 3, दादाबाड़ी में सेक्टर 3,4, राजीव गांधी नगर, इलेक्ट्रोनिक्स कॉम्पलेक्स, विज्ञान नगर, प्रेमनगर और गोविन्द नगर, क्षेत्र में किया जाएगा।
शहर का वर्टिकल होगा विकास
शहर के विकास की दृष्टि से विजन-2050 की बात करें तो विकास वर्टिकल होगा। नगरीय क्षेत्र की एक-एक इंच जमीन की स्मार्ट तरीके से प्लानिंग होगी। कॉलोनियां बसने के बजाए मल्टीस्टोरी इमारतें नजर आएंगे। अभी मल्टीस्टोरी 14-15 मंजिल तक बनाई जाती है। नगर नियोजन में वर्टिकल प्लानिंग बनाई जा रही है, जो मल्टीस्टोरी 100 मंजिला तक होंगी। शहर में विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित होंगी।
खरीदारी के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं होगी
जीवन शैली में भी आमूलचूल बदलाव देखने को मिलेगा। खरीदारी के तौर तरीके भी बदल जाएंगे। खरीदारी के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं होगी। ग्राहक घर से ही ऑनलाइन ऑर्डर करेंगे और जो चाहे वह चींज मंगवा सकेंगे। छोटे बाजारों की जगह मॉल की अवधारणा आगे बढ़ेगी। शहर में विश्वस्तरीय मॉल विकसित हो जाएंगे। शहर के हर इलाकों में बड़े-बड़े चमचमाते मॉल नजर आएंगे।
कहां कार पार्किंग करनी है, घर से ही पता चल जाएगा
ट्रांसर्पोटेशन में भी बड़ा बदलाव दिखेगा। शहर ट्रैफिक लाइट से मुक्त होगा। शहर की सड़कें भी टू लेन की जगह तीन-चार लेन हो जाएगी। ऑटोमैटिक पार्किंग सिस्टम लागू हो जाएगा। आपको घर से कार रवाना करने से पहले ही पता चल जाएगा कि कार कहां पार्किंग करनी है। कौनसी जगह पार्किंग खाली है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में इस दिशा प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। शहर के हर क्षेत्र में मल्टीस्टोरी पार्किंग विकसित हो जाएगी।
इन योजनाओं पर चल रहा कार्य
550 करोड़ से शहर में बनेगी सीवरेज लाइन
435 करोड़ नगरीय परिवहन सुगम करने पर खर्च होंगे।
163 करोड़ पेयजल वितरण व्यवस्था सुदृढ़ करने पर खर्च होंगे
100 करोड़ से अधिक चिकित्सा सेवाओं के विस्तार पर खर्च होंगे
50 करोड़ पार्किंग स्थल विकसित करने पर खर्च होंगे।
े300 करोड़ आवारा मवेशियों से मुक्ति के लिए खर्च होंगे।
25 करोड़ खेल सुविधाएं विकसित करने पर खर्च होंगे।
100 मंजिलें इमारतें बनेगी कोटा में 2050 तक
Published on:
13 Mar 2021 11:35 pm
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