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अजीब नियम : भगवान का जन आधार कार्ड लाओ, तभी सरकार एमएसपी पर गेहूं खरीदेगी

हाड़ौती सहित पूरे प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद जारी है। अब तक 2 लाख से अधिक किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन करवाकर एमएसपी पर गेहूं बेचने की प्रक्रिया में भाग लिया है, लेकिन जिन किसानों ने मंदिर माफी की जमीन लीज या किराये पर लेकर खेती की है, उनका गेहूं सरकार नहीं खरीद रही है।

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हाड़ौती सहित पूरे प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद जारी है। अब तक 2 लाख से अधिक किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन करवाकर एमएसपी पर गेहूं बेचने की प्रक्रिया में भाग लिया है, लेकिन जिन किसानों ने मंदिर माफी की जमीन लीज या किराये पर लेकर खेती की है, उनका गेहूं सरकार नहीं खरीद रही है।

हाड़ौती सहित पूरे प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद जारी है। अब तक 2 लाख से अधिक किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन करवाकर एमएसपी पर गेहूं बेचने की प्रक्रिया में भाग लिया है, लेकिन जिन किसानों ने मंदिर माफी की जमीन लीज या किराये पर लेकर खेती की है, उनका गेहूं सरकार नहीं खरीद रही है।

हाड़ौती सहित पूरे प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद जारी है। अब तक 2 लाख से अधिक किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन करवाकर एमएसपी पर गेहूं बेचने की प्रक्रिया में भाग लिया है, लेकिन जिन किसानों ने मंदिर माफी की जमीन लीज या किराये पर लेकर खेती की है, उनका गेहूं सरकार नहीं खरीद रही है।

जन आधार के अभाव में पोर्टल पर पंजीकरण नहीं हो पा रहा

एमएसपी पर सरकारी खरीद के लिए किसानों को पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीयन कराना अनिवार्य है, लेकिन मंदिर माफी की जमीन भगवान के नाम पर दर्ज होती है, जिससे जन आधार कार्ड नहीं बनता। जन आधार के अभाव में पोर्टल पर पंजीकरण नहीं हो पा रहा है और ऐसे किसान एमएसपी से वंचित हो रहे हैं।किसानों ने इस समस्या से शासन-प्रशासन को अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ।

सरकार मंदिरों की जमीन लीज पर देती है

राजस्व विभाग के माध्यम से सरकार हर वर्ष प्रदेश के राजकीय मंदिरों की जमीन खेती के लिए नीलामी के जरिए किसानों को देती है। किसान उस जमीन पर खेती करते हैं, लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में मालिकाना हक संबंधित मंदिर के नाम ही रहता है। ऐसे में ऑनलाइन पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज जैसे जन आधार उपलब्ध नहीं होने से सैकड़ों किसान एमएसपी लाभ से वंचित हैं।

केस : एक हुसैन देशवाली, कालाताबाल, कोटा

हुसैन देशवाली ने लाडपुरा तहसील क्षेत्र में मंदिर माफी की जमीन लीज पर लेकर गेहूं की खेती की है। जमीन मंदिर के नाम पर होने के कारण जन आधार नहीं बन पाया और उनका पोर्टल पर पंजीयन नहीं हो सका।

केस : दो : महेन्द्र नागर, रंगतालाब, कोटा

महेन्द्र नागर ने चंद्रप्रभु मंदिर माफी की जमीन पर मुनाफा काश्त की है। चंद्रप्रभुजी का जन आधार कार्ड नहीं होने के कारण वे एमएसपी पर गेहूं नहीं बेच पा रहे हैं और मंडी में सस्ते दामों पर बिक्री करने को मजबूर हैं।

सरकार के नियमों के तहत ही पंजीकरण

भारतीय खाद्य निगम कोटा के प्रबंधक रामदेव मीणा का कहना है कि सरकार के नियमों के तहत ही पंजीकरण होता है। एफसीआई केवल उन्हीं किसानों से गेहूं खरीदता है, जिन्होंने पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। इसके बाद टोकन जारी होता है और फिर खरीद की प्रक्रिया शुरू होती है।

फैक्ट फाइल

- 2,425 रुपए प्रति क्विंटल की दर से एमएसपी पर गेहूं की खरीद

- 150 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस राज्य सरकार की ओर से

- 2,04,961 किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन करवाया

- 66,599 किसानों से एमएसपी पर गेहूं की खरीद

- 7,84,514.97 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी