
थाल सजाओ आरती उतारो, राह बुहारो फूल बिछाओ, म्हारे सदगुरु पधारे...
कोटा. जिन्होंने अपनी शिनाख्त मिटा कर हमारी पहचान कायम की... खुद मुश्किलों से गुजर कर हमें समाज में खड़ा होना सिखाया... हर फिकर को पीछे छोड़ हमें मुश्किलों पर जीत का परचम लहराने की तरकीब बताई... जीवन रूपी कच्ची मिट्टी को न सिर्फ आकार दिया, बल्कि उसे इस योग्य भी बनाया कि न सिर्फ अपना बल्कि दूसरों का जीवन भी संवार सकें...विभिन्न विधाओं की ऐसी सद्गुरु शख्सियतों का श्रीनाथपुरम स्थिति शिव ज्योति कॉन्वेंट स्कूल में राजस्थान पत्रिका डॉट कॉम और शिव ज्योति कॉन्वेंट स्कूल ने मिलकर गुरुवार को जयगान किया।
श्रीनाथपुरम डी ब्लॉक स्थिति शिवज्योति कन्वेंट स्कूल परिसर में सुबह से ही आवभगत का सिलसिला शुरू हो चुका था। राहें बार-बार बुहारी जा रहीं थी...कंकड़ पत्थर चुनकर उन पर फूल बिछाए जा रहे थे... ज्यों ज्यों घड़ी अपराह्न तीन बजे की ओर जाने लगी त्यों त्यों थाल सजाए जाने लगे... तिलक चंदन, रोली चावल और दीपकों को सजा आरती की तैयारी शुरू हो चुकी थी। हां, बेहद खास मौका था... यूं तो कहने के लिए शिक्षक दिवस था, लेकिन राजस्थान पत्रिका के सरोकारों ने इसे गुरुजनों के यश का जयगान और वंदन करने के सुअवसर में परिवर्तित कर दिया। साहित्य, शिक्षा, संगीत, कला और इतिहास से लेकर शिक्षा के हर क्षेत्र में शिष्यों को पारंगत कर प्रदेश ही नहीं वरन पूरे देश की तरुणाई का मार्गदर्शन करने वाले 55 सदगुरुओं का मेघ की रिमझिम फुहारों के बीच अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरए गुप्ता ने संतशिरोमणि कबीर दासजी के दोहे बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय... के पीछे छिपा वैज्ञानिक राज खोलते हुए कहा कि आज जीवन के हर मुकाम पर युवा दोराहे से गुजर रहा है। कबीर याद रहेंगे तो क्या सही है और क्या गलत है का भेद करना उसके लिए आसान होगा। बस उसे समझना यह होगा कि संत शिरोमणि अपने दोहे में दोराहे को काटने का जो मार्ग दिखा रहे हैं उसमें शामिल बलिहारी आखिर है क्या बला? प्रो. गुप्ता ने कहा कि यह महज एक शब्द नहीं है, बल्कि विश्वास की असीम पराकाष्ठा है। जो हमें अपने गुरु के निर्देशों की पालना पर अपने सभी सुख और चैन न्यौछावर करने को प्रेरित करती है। ताकि शिक्षा ग्रहण करते समय हम आलस्य, प्रमाद और अवसाद जैसे दुर्गुणों का शिकार न हो जाएं। यदि ज्ञान प्राप्ति के दोराहे पर आते ही सुखों का त्याग कर दिया तो जीवन में सफलता से कभी भी हाथ नहीं धोना पड़ेगा। सच मानिए फूटी नाव भी किनारे लगाने की कला आ जाएगी।
अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि गुरु का ज्ञान जुगनुओं के समान है। अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो यह हमें चमकने की राह दिखाते रहते हैं, लेकिन किसी भी उपलिब्ध को हासिल करने के लिए इन्हीं जुगनुओं की तरह हमें अपने अंदर लगन की एक आग जलानी होती है। यही वो चीज है जिसे हमारे प्राचीन ग्रंथ गुरुमंत्र कहते हैं। गुरु का जब भी जिक्र छिड़ता है तो पहला सवाल यही होता है कि आखिर सदगुरु की पहचान क्या हो? लेकिन, मेरा यहां दूसरा सवाल है कि आखिर आप खुद को शिष्य कैसे साबित करेंगे। एकलव्य का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब गुरु द्रोणाचार्य ने उन्हें सिरे से नकार दिया तो भी वह पीछे न हटे। सीखने की ललक मरी नहीं बल्कि और भभक उठी। नतीजतन, उन्होंने द्रोण की प्रतिमा बनाई और उसी के समक्ष अभ्यास करने में जुट गए। सच जानिए शिष्य के भीतर लगी लगन की आग ने ही महज एक विग्रह को जीवंत कर डाला और आखिर में भले ही द्रोण ने दक्षिणा में उनका अंगूठा क्यों न मांग लिया हो, एकलव्य की श्रेष्ठता को कोई चुनौती न दे सका। जिस दिन आप एकलव्य बन जाएंगे उस दिन हर मोड़ पर आपको नई सीख देने वाले गुरु मिलने लगेंगे और यदि सौभाग्य से राजस्थान पत्रिका के इस कार्यक्रम में मौजूद गुरुजनों जैसे लोग मिल गए तो जीवन धन्य ही हो जाएगा।
विशेष अतिथि एएसपी राजेश मील ने कहा कि गुरु जनों का सम्मान करने की शिष्यों की कभी हैसियत ही नहीं हो सकती। राजस्थान पत्रिका और शिव ज्योति कॉन्वेंट स्कूल ने इस भाव को समझा और गुरुजनों का जयगान कर वाकई में अनूठी परंपरा का आगाज किया है।
ज्यूरी के वरिष्ठ सदस्य डॉ. गोपाल सिंह ने कहा कि शिक्षक दिवस के आयोजन स्कूलों में नौकरी करने वाले शिक्षकों के सम्मान तक सिमट कर रह गए हैं, लेकिन राजस्थान पत्रिका और शिवज्योति कॉन्वेंट स्कूल ने जिस तरह विभिन्न विधाओं में जीवन को निखारने वाले गुरुजनों को सम्मानित किया है उससे हाड़ौती की धरा अभिभूत हो गई। डॉ. बीएल शर्मा ने कहा कि शिक्षक दिवस पर सातवीं जमात फेल व्यक्ति श्रीकिशन सुमन को भी इस मंच से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने न सिर्फ एक बेहतर शिष्य बनकर खेती किसानी का ज्ञान सीखा, बल्कि एक अच्छा गुरु बनकर उस ज्ञान को बांट भी दिया। इस तरह का आयोजन वाकई में काबिले तारीफ है।
डॉ. कपिल देव शर्मा ने कहा कि शिक्षक दिवस के रोज हर कोई उपहार बांट रहा है, लेकिन पत्रिका डॉट कॉम के इस आयोजन में नवाचार का तोहफा मिला है। जो जीवन के किसी भी हिस्से में कुछ भी सिखाए निश्चित ही वह गुरु है और उनका यशोगान करना सौभाग्यशाली शिष्यों के हिस्से में ही आता है। ऐसे आयोजनों से न सिर्फ छिपी हुई प्रतिभाओं का हौसला बढ़ा है, बल्कि शिक्षकों की नई पीढ़ी को शिष्यों के सर्वांगीण विकास की प्रेरणा भी प्राप्त हुई है। इस दौरान संयुक्त निदेशक शिक्षा रामस्वरूप मीणा, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक गंगाधर मीणा, जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक द्रोपदी मेहर और जिला शिक्षाधिकारी हजारीलाल शिवहरे भी मौजूद रहे।
किया यशोगान
रघुराज सिंह हाड़ा, बशीर अहमद मयूख, महेशचंद्र शर्मा, मनोज शर्मा, फिरोज अहमद, डॉ. सुषमा अहूजा, राजेंद्र पांचाल, श्रीकिशन सुमन, केशव भाटी, प्रो. अनिल के माथुर, प्रो. एके द्विवेदी, रश्मि दत्ता, मोहम्मद लुकमान, अब्दुल जमील कुरैशी, डॉ. प्रहलाद दुबे, तेज कंवर, रेहाना चिश्ती, यज्ञदत्त हाड़ा, ईश्वर सिंह, अनोख गुप्ता, रमेश नागर, रचना शर्मा, मनोज कुमार भारद्वाज, मनोहर भाटी, मिथिलेश यादव, कृति मेहरोत्रा, देवेश गोयल, आदित्य विजय, राजेश नागर, अशोक गुप्ता, यतीश विजयवर्गीय, देवी शंकर, अशोक टेलर, रामविलास मीणा, अर्चना तंवर, शम्शुल निशा, चंद्रेश विजय, डॉ. अनिल कुमार पारीक, जावेद खान, इंद्रजीत दाधीच, सोनिया शर्मा, निर्मला आर्य, हाजी असगर, राजेश चतर, सुरेश मेहरा, आशुतोष मदपुरिया, मीनाक्षी, अजय जैन, हुरी आहूजा, प्रकाश जायसवाल, रवि गुप्ता, हेमराज मीणा, सीएल खींची, संतोष शर्मा और रमाशंकर योगी को कुलपति प्रो. आरए गुप्ता, जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल, एएसपी राजेश मील, शिवज्योति कान्वेंट स्कूल के रमेश गुप्ता, निदेशक महेश गुप्ता, शिवम गुप्ता, श्रुति गुप्ता और गार्गी गुप्ता ने सम्मानित किया।
Published on:
05 Sept 2019 10:19 pm
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
