
UIT ने अपनी गली मोहल्लो में खर्च किये सारे पैसे अब पर्यटन-धार्मिक स्थलों को दिखाया ठेंगा
कोटा. सियासी गलियों को चाकचौबंद करने में करोड़ों रुपए फूंकने वाले नगर विकास न्यास (यूआईटी) के पास कोटा के धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों के विकास को ‘धेला’ भी नहीं है। पर्यटन विकास के नाम पर
डींगे हांकने वाले हाकिमों ने इस मद का जिक्र आते ही खजाना खाली बता दिया।
'इस हाथ ले, उस हाथ दे' पर उतरी सरकार
यूआईटी ने हाल ही में 947 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव पास किया है। जिसमें चुनिंदा विधानसभा क्षेत्रों और वार्डों में नेताओं का रसूख चमकाने के लिए करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के प्रस्ताव पर बड़ी खामोशी से मोहर लगा दी गई, लेकिन पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार और आय की अपार संभावनाएं होते हुए भी इस क्षेत्र को नजरंदाज कर दिया गया।
यूआईटी को सेवन वंडर्स, सीबी गार्डन, जॉय ट्रेन और इस इलाके की पार्किंग से वित्त वर्ष 2017-18 में 160.70 लाख रुपए की आय हुई थी। बावजूद इसके इस बार सिर्फ किशोर सागर से सौंदर्यीकरण के लिए 44.48 लाख रुपए का ही प्रस्ताव तैयार किया गया है। जबकि यूआईटी की खासी प्रचारित योजना रोपवे के लिए एक रुपए का भी बजट आवंटित नहीं किया गया।
चंबल के सौंदर्यीकरण का खाका बदला
पिछले एक साल से यूआईटी चम्बल की डाउन स्ट्रीम में रिवर फ्रंट बनाने का जमकर प्रचार कर रही थी, लेकिन बजट प्रस्ताव में इसके लिए कोई राशि आवंटित नहीं की। आलम यह है कि इसकी जगह साउथ ईस्ट साइड में चम्बल नदी के सौंदर्यीकरण के लिए ६१५.५० लाख रुपए की नई योजना प्रस्तावित कर दी गई। ऐतिहासिक बावडिय़ों के सौंदर्यीकरण के लिए भी धन आवंटित नहीं किया गया है।
बेहाल छोड़े मंदिर
कोटा के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों की दुनिया भर में खासी पहचान है, बावजूद इसके यूआईटी ने उनके लिए कोई योजना ही नहीं बनाई। जबकि गैर योजना क्षेत्र के अंतर्गत पर्यटक स्थलों के विकास के लिए यूआईटी ने पिछले साल बिना किसी योजना के 11.82 लाख रुपए खर्च किए थे। उम्मेदगंज पक्षी विहार और छत्र विलास उद्यान का खाता भी इस बार शून्य है।
अलग से बजट का प्रावधान नहीं
शहर का विकास ही पर्यटन के विकास के लिए किया जा रहा है। जितने भी सर्किल, गैलरियां और उद्यान विकसित किए जा रहे हैं, उसी का हिस्सा हैं। इसलिए इस मद में अलग से बजट का प्रावधान नहीं किया गया है।
आरके मेहता, चेयरमैन,
नगर विकास न्यास
खोखले निकले दावे
यूआईटी ने 12 करोड़ रुपए की लागत से हाट बाजार और कला दीर्घा के सौंदर्यीकरण का खाका खींचा था, लेकिन बजट प्रस्तावों में इस मद में पैसा आवंटित नहीं किया गया। गत वर्ष अभेड़ा महल के लिए 50 लाख रुपए के प्रस्ताव तैयार किए गए थे, लेकिन जब वास्तविक खर्च शून्य रहा। इस साल 6.12 लाख रुपए का ही प्रस्ताव तैयार किया गया है।
पेंटिंग पर होगा खर्च
कोटा को खूबसूरत दिखाने के लिए यूआईटी ने वित्त वर्ष 2017-18 में दीवारों पर पेटिंग कराने में 11.95 लाख रुपए खर्च किए थे। इस बार भी इस मद से 10.41 लाख रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है। जबकि इन पेटिंग्स के रखरखाव का कोई इंतजाम नहीं किया है।
Published on:
29 Jun 2018 01:13 pm
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