
कोटा .
वट सावित्री अमावस्या सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण पर्व है जो कि आज मनाया जा रहा है | हर वर्ष यह पर्व ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तथा अमावस्या तक मनाया जाता है और इस वर्ष अमावस्या पर यह व्रत पूर्ण होगा | इस दिन सभी स्त्रियाँ वट वृक्ष का पूजन कर अखंड सुहाग की कामना करती है |
लोगों के बीच ऐसी मान्यता है इसी दिन सावित्री ने अपने कठिन तप के बल से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों का रक्षा की थी। कथाओं के अनुसार जब यमराज सत्वान के प्राण ले जाने लगे तो सावित्री भी उनके पीछे पीछे चलने लगी। ऐसे में यमराज ने उन्हें तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने एक वरदान में सौ पुत्रों की माता बनना मांगा और जब यम ने उन्हें ये वरदान दिया तो सावित्री ने कहा कि वे पतिव्रता स्त्री है और बिना पति के मां नहीं बन सकती।
यमराज को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने चने के रूप में सत्यवान के प्राण दे दिए। सावित्री ने सत्यवान के मुंह में चना रखकर फूंक दिया, जिससे वे जीवित हो गए। तभी से इस व्रत में चने का प्रसाद चढ़ाने का नियम है।
Published on:
15 May 2018 03:29 pm
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