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water crisis : चंबल किनारे बसे गांव-कस्बों में पानी की एक-एक बूंद के लिए मचा हाहाकार…

चंबल किनारे बसे गांव जगपुरा, केबलनगर, कलम का कुआं, देवकुई, सातधारा व शहर के प्रेमनगर आवासीय योजना, मंडाना व सांगोद में पानी के लिए हाहाकार मचा है।

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कोटा

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Zuber Khan

Feb 01, 2018

water crisis

सदानीरा चम्बल किनारे आबाद कोटा शहर व आस-पास के ग्रामीण इलाकों में 'नीर की पीर' सुनने में कुछ अजीब लगती है, लेकिन यह कड़वी हकीकत है। अपने में अथाह जलराशि समेटे चम्बल का शहर व ग्रामीण इलाके 'प्यासे' हैं। सर्दी में ही पानी का संकट है, गर्मी में तो हालात हाहाकार जैसे हो जाते हैं। कोटा शहर की प्रेमनगर अफोर्डेबल आवासीय योजना हो या शहर से लगे जगपुरा, केबलनगर और बड़े कस्बे मंडाना, सांगोद या रामगंजमंडी, सभी जगह सर्दी में ही पानी को लेकर मारामारी मची हुई है। जलस्रोत सूख चुके हैं।

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नलकूप, हैण्डपम्प, कुओं ने जवाब दे दिया है। ऐसे में इक्के-दुक्के नलकूप व टैंकरों के भरोसे ही इन क्षेत्रों की जनता हलक तर कर रही है। इन इलाकों में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक सिर्फ पानी की जद्दोजहद में ही दिन बीतता है। सुबह नलकूप पर महिलाओं, युवतियों, बच्चों की भीड़ लगती है। कतार...इंतजार...तकरार...के बाद घर की जरूरत का पानी मिल पाता है। राजस्थान पत्रिका ने बुधवार को लाडपुरा तहसील के जगपुरा, केबलनगर, कलम का कुआं, देवकुई, सातधारा व शहर के प्रेमनगर आवासीय योजना, मंडाना व सांगोद में जल संकट का जायजा लिया। जो हालात देखे, पेश है उन पर एक रिपोट...

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नेता वोट लेने आते हैं लेकिन पानी नहीं पिता सकते
जगपुरा निवासी सीताबाईग् ने बताया कि पानी के लिए अक्सर झगड़े होते हैं। नेता वोट लेने तो आ जाते हैं, लेकिन हमें पानी भी नहीं पिला सकते। गर्मी में पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। इस बार सर्दी में ही विकट स्थिति है।


बिना नहाए स्कूल जाते हैं बच्चे
कलम का कुआं निवासी आरती बंजारा नेकहा, पानी नहीं होने के कारण हमें बिना नहाए ही स्कूल आना पड़ता है। गांव के तीनों हैंडपम्प रीत चुके हैं। सुबह-सुबह मां के साथ एक किलोमीटर दूर से घर के लिए पानी लाना पड़ता है।

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सब काम छोड़ पानी का जुगाड़ करना पड़ता है
कलम का कुआं निवासीज्योति बंजारा ने बताया कि अभी साल भर ही हुआ है शादी को। मेरा पीहर झालावाड़ जिले में है, लेकिन वहां भी पानी की इतनी समस्या नहीं है। घर का सारा काम छोड़ पानी के जुगाड़ में लगा रहना पड़ता है।

दो दर्जन परिवार पलायन कर चुके
वार्ड पंच जय सिंहने बतया कि पेयजल समस्या विकराल हो चुकी है। पानी की किल्लत से दो दर्जन से अधिक परिवार पलायन कर चुके हैं। हैंडपम्प तो लगते हैं, लेकिन साल-दो साल में जवाब दे जाते हैं।