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इतनी परीक्षा न लो ‘सरकार’

खड़े गणेशजी के मंदिरमें बरसात में भर जाता है पानी, प्रशासन को बताई समस्या पर नहीं हुआ समाधान. गणेश उद्यान बनने के बाद खड़ी हुई मुश्किल, सेवा में बाधक, श्रद्धालुओं की मुश्किल

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इतनी परीक्षा न लो 'सरकार'

कोटा. खड़े गणेशजी के मंदिर में श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों को इन दिनों कड़ी परीक्षा देनी पड़ रही है। श्रद्धालुओं को दो दो फीट पानी में खड़े होकर दर्शन करने पड़ रहे हैं। प्रशासनिक अनदेखी और बरसाती पानी के उचित निकास के अभाव में थोड़ी तेज बरसात होते ही मंदिर में पानी भर जाता है। क्षेत्र से निकल रहे बरसाती नाले के आने पर तो परिसर में ढाई से तीन फीट तक पानी भर जाता है। मंदिर श्री खड़े गणेशजी महाराज के मुख्य पुजारी ओम सिंह ने बताया इस मामले में नगर विकास न्यास व प्रशासन को कई बार समस्या से अवगत करवाया लेकिन इससे कोई फायदा नहीं मिला। गणेश उद्यान के बनने के बाद से ही यह समस्या आ रही है। उन्होंने बताया कि बुधवार को भी परिसर में दो से तीन फीट पानी भर गया। पानी में खड़े होकर ही श्रद्धालुओं ने कतार में दर्शन किए। उन्होंंने बताया कि मंदिर में बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी आते हैं। पानी के बहाव के साथ कीड़े- कांटे, सर्प, फिसलन व गिरने का भय रहता है। ओम सिंह ने बताया कि नालों के जो निकास दिए हैं, वह सही नहीं दिए, इससे पाठारी भाग का सारा पानी इधर ही आता है। जब यहां पार्क बन रहा था तब भी हमने नगर विकास न्यास को बताया था कि इससे भविष्य में समस्या हो सकती है, लेकिन ध्यान नहीं दिया। अब भी अनदेखी की जा रही है। सिंह ने बताया कि बरसात के आने से पहले बरसात की चिंता सताने लगती है।

हजारों आते हैं दर्शन करने

मंदिर में दर्शन करने आए परमानंद शर्मा व राकेश ने बताया कि यहां रोजाना सेकड़ों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। बुधवार के दिन तो लंबी कतारें लगती है। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा अनदेखी की जा रही है। कई श्रद्धालुओं को पानी की स्थिति को देखकर बिन दर्शन किए लौटना पड़ता है। देर तक खड़े रहकर दर्शन करने से बीमारी का डर भी रहता है।

लाइटें भी नहीं जलती

आधी लाइटें भी नहीं जलती यहांमंदिर के बाहर आधी लाइटें भी नहीं चलती। कई खंभो पर तो लाइटें ही नहीं। गणेश चतुर्थी आती है तो लाइटें ठीक कर जाते हैंै, इसके बाद कोई देखने वाला नहीं है। यहां अभी भी स्थिति यह है कि प्रवेशद्वार के एक ओर तो पूरा अंधेरे में डूबा हुआ है। परिसर में फुटकर दुकानें लगती है। एक दुकानदार के अनुसार अंधरे के कारण गिरने, चोरी आदि का तो डर रहता ही है, साथ ही बरसात के दिनों में सर्प व जहरीले कीड़े निकलने का भय भी रहता है

फव्वारे भी बंद पड़े हैं

नगर विकास न्यास ने यहां मोटी रकम खर्च कर फव्वारे लगाए थे, लेकिन इनमें से अधिकतर बंद पड़े हैं। प्रवेशद्वार के सामने वाला फव्वारा मुख्य प्रवेश द्वार के पास चौक में तो फव्वारा चलता है, लेकिन प्रवेश द्वार से मंदिर के बीच लगा लंबा फव्वारा बंद है। यह कचारा पात्र बन रहा है। जानकारी के अनुसार कुछ माह पहले फव्वारे के टैंक की मरम्मत भी करवाई, लेकिन इसके बावजूद फव्वारा बंद है। कई जगह पटान उखड़े हैं, टाइल्स निकली हुई है।

सिंहद्वार के पास टॉयलेट्समें इतनी गंदगी फैले रहती है कि घुसना भी दु:श्वार रहता है। पानी की टोंटियां व शीट् टूट गई है। पटान पर फिसलन हो रही है। इससे गिरने का डर भी बना रहता है। मोबाइल की टॉर्च जलाकर लोग इसमें प्रवेश करते हैं। मंदिर में दर्शन करने आए शैलेष भटनागर बताते हैं कि यहां टॉयलेट की समुचित व्यवस्था नहीं है।इससे मंदिर के बाहर पार्क की दीवार के आस पास गंदगी रहती है, फव्वारे वाले पार्क में सफाई व्यवस्था भी नहीं है। प्रख्यात स्थान पर इस तरह की अव्यवस्था ठीक नहीं है।