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दुधवा और पीलीभीत रिजर्व क्षेत्र को मिलाकर बनेगा हाथी रिजर्व, किसानों को राहत, समय पर मिलेगा मुआवजा

दुधवा और पीलीभीत टाइगर रिजर्व को मिलाकर उत्तर प्रदेश में पहला तराई हाथी रिजर्व बनाया जाएगा। इसे केंद्र सरकार की 'प्रोजेक्ट हाथी' योजना के तहत शुरू किया जाएगा। प्रोजेक्ट को भारत सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है।

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Elephant Reserve File Photo

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दुधवा और पीलीभीत टाइगर रिजर्व को मिलाकर उत्तर प्रदेश में पहला तराई हाथी रिजर्व बनाया जाएगा। इसे केंद्र सरकार की 'प्रोजेक्ट हाथी' योजना के तहत शुरू किया जाएगा। प्रोजेक्ट को भारत सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। अब राज्य सरकार को बाकी के इंतजाम करने हैं। यूपी के मुख्य वन्यजीव वार्डन संजय सिंह ने कहा कि इस हाथी अभ्यारण को तराई हाथी रिजर्व (टीईआर) के रूप में जाना जाएगा। दरअसल, यूपी सरकार ने किसानों को जंगली हाथियों से निजात दिलाने के लिए इस तरह की पहल की है। सरकार का उद्देश्य है कि जंगली हाथियों, उनके आवासों और गलियारों की रक्षा हो।

तराई हाथी रिजर्व बनने से हाथियों और इंसानों के बीच का संघर्ष तो कम होगा ही, साथ ही इन हाथियों को रहने का एक स्थाई स्थान भी मिलेगा। किसी भी दुर्घटना पर समय पर मुआवजा भी मिल सकेगा। इसके बनने से पीलीभीत, लखीमपुर खीरी के भारत-नेपाल क्षेत्रों में रहने वाले किसानों और ग्रामीणों की रक्षा होगी।

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टाइगर रिजर्व की तरह होंगे कानून

पीलीभीत तराई का इलाका वन्यजीवों के लिए अनुकूल माना जाता है। यहां लगातार वन्यजीवों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। संजय सिंह ने कहा कि हाथी रिजर्व में टाइगर रिजर्व के कानून लागू होंगे। टीईआर का निर्माण तीन हजार वर्ग किलोमीटर में होगा जिसमें 149 हाथी, जिनमें नर, मादा व बछड़ों सहित कुल 25 पालतू हाथी हैं। दुधवा पार्क प्रशासन इस प्रस्ताव को केंद्र की मंजूरी मिलने से खासा उत्साहित है। बता दें कि तराई हाथी रिजर्व बनने के बाद यहां हर साल बड़ी संख्या में आने वाले नेपाली हाथियों को बेहतर माहौल मिलेगा। यही नहीं हाथियों को इलाज जैसी बेहतर सुविधाएं समय पर मिल सकेंगी और उनकी अच्छे से देखभाल हो सकेगी। इसके अलावा रिजर्व इलाके के सौंदर्यीकरण का काम भी बेहतर ढंग से हो सकेगा।


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