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सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत की नींव के लिए सभी लें संकल्प: कैलाश सत्यार्थी

यात्रा की अगुवाई कर रहे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. कैलाश सत्यार्थी का यहां सांसद रवि प्रकाश वर्मा के नेतृत्व में स्वागत किया गया।

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Nobel Prizes winner Kailash Satyarthi

Nobel Prizes winner Kailash Satyarthi

लखीमपुर खीरी. नोबल पुरस्कार विजेता व समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी यात्रा के दूसरे दिन गोला पहुंचे। सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत यात्रा 22 राज्यों का 11 हजार किलोमीटर का सफर तय करके रविवार को गोला के कृषक समाज इंटर कालेज पहुंची। यात्रा की अगुवाई कर रहे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. कैलाश सत्यार्थी का यहां सांसद रवि प्रकाश वर्मा के नेतृत्व में स्वागत किया गया। सत्यार्थी ने यहां अपने संबोधन में नोबेल शांति पुरस्कार का श्रेय गोला के बच्चों को दिया।

यहां सत्यार्थी ने अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि वे शांति का नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद भी चार लडाईयां लड़ रहे हैं, जिसमें भारत में भय मुक्त समाज, बच्चों को घरों में सुरक्षित करने, भारत के नए इतिहास की रचना में भारत यात्रा एक युद्ध, मान मर्यादाओं व सामाजिक वर्जनाओं के विरुद्ध पुरुष समाज के ढोंगीपन को दूर करने व बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर आवाज उठाने तथा पुराने नजरिए को बदलने की लड़ाई बाकी है। इसके लिए वह मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गांव, शहर, गली, मुहल्लों में बच्चों को सुरक्षित करने की मुहिम के तहत सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत की नींव को संकल्पित हैं। उन्होंने बताया कि एक बच्ची के बेचे जाने के मामले में कैसे उन्होंने बच्ची के पिता के दुखों को आत्मसात करते हुए उसके साथ न्याय की लड़ाई लड़ी। गरीब बेबस बच्चों का स्कूलों में प्रवेश कराने जाने पर अपमानित होना पड़ा तो उन्हें शिक्षा के मौलिक अधिकार को कानून बनाए जाने के लिए सरकार का सहारा लेना पड़ा।

सत्यार्थी ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व बाल मजदूरों की संख्या करीब 26 करोड़ थी, जो आज 15 करोड़ रह गई है। वर्ष 2000 में करीब 13 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे थे। वर्तमान में ऐसे करीब छह करोड़ बच्चे रह गए हैं, जिनके लिए भी वह निरंतर संघर्ष करते हुए प्रत्येक दशा में बच्चों को बालश्रम, बाल उत्पीडऩ, यौन शोषण से मुक्ति दिलाएंगे। समारोह स्थल पर उन्होंने चिकित्सकों से यौन शोषण पीड़ित बच्चों के नि:शुल्क उपचार, अधिवक्ताओं से ऐसे बच्चों की नि:शुल्क पैरवी के लिए संकल्प कराया। अंत में पंडाल सहित मैदान में मौजूद लोगों को दिमाग के बजाय दिल से काम करने का आवाहन करते हुए शहर, गांव, जिला, प्रदेश सहित संपूर्ण भारत के बचपन को सुरक्षित करने व भारत को सुरक्षित करने, मेक इंडिया-सेफ इंडिया की शपथ दिलाई।

बच्चों की सुरक्षा के हैं कानून

सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत यात्रा के समारोह में जिला जज राजवीर सिंह ने कहा कि बच्चों को सुरक्षा के अधिकार कानून के तहत हरसंभव न्याय के प्रावधान हैं। बच्चों की किसी शिकायत पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।

यात्रा निरंतर चलती रहेगी

सांसद रवि प्रकाश वर्मा ने कहा कि समाज में बच्चों को खतरा है, लेकिन उसके लिए उसका पास पड़ोस ही जिम्मेदार हैं। ब्रिटिश पार्लियामेंट में दी गई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि हिंदुस्तानी आस्था व भक्ति पर विश्वास करने वाले हैं। इन्हें गुलाम नहीं बनाया जा सकता। हमें अपनी दृढ इच्छा शक्ति से बच्चों व महिलाओं के लिए सुरक्षित शहर बनाना है। आज के इस आयोजन के बाद यह यात्रा अनवरत जारी रहनी चाहिए। जब तक एक-एक बच्चा सुरक्षित न हो जाए। समारोह को एमएलसी शशांक यादव, पूर्व विधायक विनय तिवारी, निवर्तमान पालिकाध्यक्ष मीनाक्षी अग्रवाल ने भी संबोधित किया।

कैलाश सत्यार्थी ने बच्ची को दिया आशीष

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की मौजूदगी में बच्चियों वंदना कश्यप, पूजा, रोशनी, काजल, ज्योति, प्रगति ने रघुपति राघव राजाराम की संगीतमयी धुनों पर गीत से समां बांध दिया। इसके बाद नन्हीं बच्ची पलाक्षी अग्रवाल ने मोहक अंदाज में बालश्रम, बाल उत्पीडऩ पर अंग्रेजी में वक्तव्य दिया। इस पर पंडाल तालियों से गडग़ड़ा उठा। तब कैलाश सत्यार्थी ने मंच से उठकर पीछे से बच्ची की आंखों को स्नेहपूर्वक अपने हाथों से ढककर उससे पूछा बताओ कौन तो बच्ची ने तत्काल उनका नाम लिया। इसके बाद उन्होंने बच्ची को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।


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