
पुरातत्व विभाग की उदासीनता के कारण ललितपुर के कई ऐतिहासिक मन्दिर, मठ और किले पहुंचे बदहाली की कगार पर
सुनील जैन
पत्रिका एक्सक्लुसिव
ललितपुर. बुंदेलखंड क्षेत्र में ललितपुर जिला एतिहासिक किलों,मन्दिरों और स्मारकों के लिए जाना जाता है। यहां के राजकीय संग्रहालय में दिव्य और अलौकिक मूर्तियां और प्रतिमाएं संरक्षित हैं। इन्हीं मूर्तियों में ब्रह्मा और ब्राह्मणी की भी ऐसी प्रतिमा संरक्षित है जो देश की इकलौती प्रतिमा है। इसकी प्रतिकृति देश में सिर्फ एक जगह पुष्कर, राजस्थान में ही है। जिले में 75 से अधिक ऐतिहासिक स्मारक हैं लेकिन इनके रखरखाव के लिए सिर्फ 15 चौकीदार ही नियुक्त हैं। जिले के ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव का जिम्मा केंद्रीय और राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन है लेकिन दोनों ही सरकारों के द्वारा इतना कम बजट दिया जाता है कि यह ऐतिहासिक स्थल और प्रतिमाएं नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई हैं। जल्द ही इस तरफ ध्यान न दिया गया तो अमूल्य धरोहर से हम हाथ धो बैठेंगे।
पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते जनपद के कई ऐतिहासिक मन्दिर और किले व मठ बदहाल हो रहे हैं। जिला राजकीय संग्रहालय ललितपुर रेलवे स्टेशन के पास बना है। इस संग्रहालय में ब्रह्मा और ब्राह्मणी की विलक्षण और अलौकिक प्रतिमा है जो पूरे भारतवर्ष में केवल ललितपुर के अलावा राजस्थान के पुष्कर में पाई जाती है। राजकीय संग्रहालय में तैनात होमगार्ड के प्लाटून कमांडर संतोष कुमार के अनुसार संग्रहालय अच्छा बना है। मगर पुरातत्व विभाग की देखरेख के अभाव में यह बदहाल स्थिति में है। वहीं देवगढ़ के संग्रहालय में भी दशावतार भगवान की मूलनायक विलक्षण प्रतिभा है जो पूरे विश्व में और कहीं नहीं है। लेकिन पुरातत्व विभाग की अनदेखी की वजह से यहां के किले,मठ और मन्दिर बर्बाद हो रहे है ।
जनपद में ऐसे कई मंदिर, मठ और किले हैं जो पुरातत्व विभाग के अधीन होने के बावजूद देखरेख के अभाव में जीर्ण शीर्ण हो गए हैं । बालाबेहट का तिलिस्म किला, ऐतिहासिक किला राजा मर्दन सिंह तालबेहट, राजा बख्तबली का सौंरई का किला, मडाबरा का किला, मदनपुर का किला, बालाबेहट का किला, पाली का भगवान शिव का नीलकंठेश्वर मन्दिर, दूधई का सूर्यमन्दिर, जैन देवगढ़ तीर्थ स्थल , जैन तीर्थ स्थल चांदपुर जहाजपुर,जैन तीर्थ क्षेत्र देवगढ़ और चंदेल कालीन स्मारक स्थल पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इन स्थलों का विकास किया जाय तो राजस्थान की तरह यहां से भी पर्यटन से खूब पैसा कमाया जा सकता हैं लेकिन पुरातत्व विभाग इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा ।
आज भी निकलती है मूर्तियां
जनपद में ऐसे कई स्थान है जहां आज भी खुदाई में चंदेल कालीन मूर्तियां निकलती है ।औरंगजेब और मुहम्मद गौरी के शासनकाल में यहां की तमाम हिंदू मंदिरों को तोड़कर मिट्टी में मिला दिया गया था। गांव मडावरा, सीरोन जी और देवगढ़ के आसपास ख़ुदाई में निकली मूर्तियां सिरोंन तथा देवगढ़ संग्रहालय में रखी हुई है। ललितपुर में 200 से अधिक ऐसे स्थल है जिन्हें पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है।
क्या कहते है आलाधिकारी
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले के पुरातत्व विभाग को दो भागों में बांटा गया है। कुछ स्थल राज्य सरकार के अधीन हैं तो कुछ केंद्र सरकार के अधीन है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से इमारतों के रखरखाव के लिए फंड आता है। ललितपुर के संग्रहालयों और ऐतिहासिक इमारतों की देखरेख के लिए राज्य सरकार द्वारा केवल एक चौकीदार नियुक्त किया गया है जो बालाबेहट किले की देखरेख करता है। अन्य स्थल भगवान भरोसे हैं। जबकि, देवगढ़ के केंद्रीय पुरातत्व अधिकारी एम. के. कुलीन ने बताया कि जनपद में हमारे विभाग के अधीन 75 स्मारक है जिनमें से 15 स्मारकों के लिए चौकीदारों की तैनाती की गई है। जानेमाने पत्रकार रविन्द्र दिवाकर का कहना है कि यदि शासन प्रशासन द्वारा जनपद के पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए तो यहां की बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक समाप्त हो सकती है।
राज्य पुरातत्व विभाग के रीजनल अधिकारी डॉ एसके दुबे ने बताया कि बुंदेलखंड के 6 जिलों की ऐतिहासिक इमारतों के रखरखाव के लिए राज्य सरकार द्वारा महज 2 लाख तक का फंड भेजा जाता है। जबकि ललितपुर में ही 25 से अधिक स्थल है। बालाबेहट स्थित किले के जोर्णोद्धार के लिए ही 50 से 60 प्रतिशत राशि खर्च हो जाती है।
Updated on:
25 Aug 2019 05:01 pm
Published on:
25 Aug 2019 03:27 pm
बड़ी खबरें
View Allललितपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
