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यहां पहनकर नहीं, हाथों में लेकर चलना पड़ता है चप्पल

महिलाओं ने आरोप लगाया कि वे जब गांव में उच्च जाति के लोगों के घर के सामने से निकलती हैं, तो चप्पल हाथ में पकड़ना पड़ता है।

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ललितपुर. समाज में परिवर्तन के चाहे जितने दावे किये जाए लेकिन हकीकत यह है कि अभी भी बहुत सारे गांव कई तरह की विसंगतियों से जूझ रहे हैं। बुंदेलखंड के कई इलाके ऐसे हैं जहां आज भी जातीय भेदभाव का व्यवहार रह-रहकर देखने को मिल जाता है। ललितपुर जनपद में पिछले दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया जब दलित जाति के लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें सवर्णों के घर के आगे से गुजरते समय चप्पल हाथों में पकड़ना पड़ता है। दूसरी ओर प्रशासनिक अमला और गांव के दूसरे पक्ष के लोग ऐसी बातों का खंडन करते हुए कहते हैं कि गांव में ऐसी कोई भी बुरी परम्परा नहीं है। दावा करते हैं कि सब लोग मिलजुलकर रहते हैं।

गांव की महिलाओं का आरोप

पिछले दिनों नैनवारा गांव के मजरे में इसी तरह का एक मामला सामने आया जिसमें दलित परिवार की महिलाओं ने आरोप लगाया कि वे जब गांव में उच्च जाति के लोगों के घर के सामने से निकलती हैं, तो उन्हें चप्पल हाथ में पकड़ना पड़ता है। गांव की रहने वाली नीलम बताती हैं कि चप्पल हाथ में न पकड़ने पर अभद्रता करते हैं। वृद्ध शांति कहती हैं कि यदि वे चप्पल पहनकर निकल जाएँ तो ऊंची जाति के लोग बुरा मान जाते हैं और अपमानित करते हैं।

ग्राम प्रधान ने किया आरोप का खंडन

हालाँकि इस मामले को गाँव के दूसरे पक्ष के लोग दूसरी तरह से बताते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि गांव में एक मंदिर है जहां से गुजरते समय लोग चप्पल हाथों में पहन लेते हैं। इसका बिरादरी से कोई लेना देना नहीं है। वहीं गांव के प्रधान इस मामले पर सफाई देते हुए कहते हैं कि गांव में कभी ऐसी कोई परम्परा नहीं रही। गांव में सभी लोग मिलजुलकर रहते हैं। प्रधान कहते हैं कि गांव के लोग मिलजुलकर विकास कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं।