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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शिक्षा मित्रों ने योगी सरकार को दी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों ने कहा- करेंगे इस्लाम कुबूल, 2019 में सिखाएंगे सबक.

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Abhishek Gupta

Jul 27, 2017

Shiksha Teacher

Shiksha Teacher

ललितपुर. शिक्षामित्रों पर सर्वोच्च न्यायालय का लंबित फैसला आखिर कार बुधवार को आ ही गया। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया और इस फैसले से जनपद के लगभग 1700 शिक्षामित्र प्रभावित हुए है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को ही एक तरह से मान लिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी सी राहत देते हुए ये ऐलान किया है कि यदि शिक्षा मित्र सहायक शिक्षक के लिए आवश्यक अहर्ता टीईटी पास कर चुके है या भविष्य में पास कर लेते हैं तो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार किया जा सकता है। देश की शीर्ष अदालत के इस फैसले से जनपद के लगभग 1700 शिक्षामित्रों के परिवार पर संकट के बादल छा गए हैं, हालांकि प्रदेशभर के शिक्षामित्र देश की शीर्ष अदालत से अपने हक में फैसला आने की उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन इस फैसले के आने के बाद शिक्षामित्र बौखलाए हुए है।


आक्रोशित शिक्षामित्रों जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर एकत्रित हुए और धरना प्रदर्शन कर भाषणबाजी की। शिक्षामित्रों की बढ़ती भीड़ को देखकर पुलिस प्रशासन भी सतर्क हो गया। तत्काल मौके पर कोतवाल भरत पांडे भारी पुलिस बल के साथ पहुंच गए और शिक्षा मित्रों से शांतिपूर्वक प्रदर्शन और अनुशासित प्रदर्शन करने की अपील की।


इस्लाम कबूल करने की दी धमकी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बौखलाए शिक्षामित्रों ने इस्लाम कबूल करने की धमकी तक दे डाली। एक शिक्षा मित्र उर्मिला साहू ने कहा कि उनके साथ सरकार तथा कोर्ट ने बहुत ही अन्याय किया है। अभी भी सरकार समझ जाए नहीं तो इसका जवाब 2019 में दिया जाएगा। शिक्षामित्र ने सुप्रीम कोर्ट में फैसला देने वाले जजों को घर बैठकर चूड़ियां पहनने की हिदायत भी दे डाली। वहीं शिक्षामित्र के जिलाध्यक्ष ने कहा कि अभी उम्मीद बाकी है। अगर विधानसभा में दो तिहाई मत से यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो शिक्षा मित्र फिर से अध्यापक के रूप में कार्यरत होंगे और सुप्रीम कोर्ट का फैसला खारिज हो जाएगा।


कोई भी जनप्रतिनिधि नही पहुचा धरना स्थल पर
जिस तरह शिक्षामित्र को जिला अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से यह प्रस्ताव पारित हो जाएगा तो फिर शिक्षामित्र अध्यापक बन जाएंगे एवं सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्थगित हो जाएगा। मगर शिक्षामित्रों की 2 दिनों की धरना प्रदर्शन में कोई भी जनप्रतिनिधि उनकी पीड़ा जानने के लिए नहीं आया। ऐसे में उनकी यह उम्मीद भी बेमानी लगती है।


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