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भारत के लिए ठुकराया था पाक का फाइनेंस मिनिस्टर का ऑफर, आज है देश का दूसरा सबसे अमीर परिवार

कुर्बानी बड़ी याद छोटी धर्मनिरपेक्ष हाशिम ने एक नहीं दो ठुकराया था जिन्ना का ऑफर बेटे अजीम प्रेमजी ने कंपनी और परिवार को पहुंचाया बुलंदियों पर

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Hashim Premji

नई दिल्ली। देश को आज आजादी के 72 साल पूरे हो गए हैं। आजादी के लिए देश के कई लोगों ने कुर्बानी दी है। किसी ने अपनी जान देकर तो किसी ने अपनी जमीन और जायदाद देकर। लेकिन कुछ कुर्बानी अनकही हैं। जिनके बारे में आप भी नहीं जानते होंगे। आज हम एक उसी कुर्बानी की बात कर रहे हैं। यह कुर्बानी किसी और ने नहीं बल्कि देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक प्रेजी परिवार है। अजीम प्रेम जी के पिता हाशिम प्रेमजी ने देश के लिए कुर्बानी नहीं दी होती तो विप्रो जैसा ग्रुप नहीं होता। आइए आपको भी बताते हैं कि हाशिम प्रेम जी कौन थे, किस तरह का व्यापार करते थे और उन्होंने किस तरह की कुर्बानी दी थी।

कौन थे हाशिम प्रेमजी
जैसा कि प्रेमजी नाम से पता चलता है कि वो देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने अजीम प्रेम के परिवार से ताल्लुक रखते थे। वास्तव में हाशिम प्रेम जी अजीम प्रेम जी के पिता थे। वो कारोबारी थे और अपने समय में चावल और फूड ऑयल का व्यापार करते थे। उन्हें राइस किंग ऑफ बर्मा के नाम से भी जाना जाता था। उनकी कंपनी का नाम था वेस्‍टर्न इंडिया प्रोडक्‍ट इंडिया प्रोडक्‍ट लिमिटेड था। हाशिम प्रेमजी उस समय बॉम्‍बे में कमीशन एजेंट के तौर पर भी काम करते थे। वहीं चावल और कुकिंग ऑयल के अलावा हाशिम प्रेमजी कपड़े धोने के साबुन का भी प्रोडक्‍शन करते थे। वास्तव में साबुन कुकिंग ऑयल के बाईप्रोडक्‍ट के तौर पर बनाया जाता था। कुकिंग ऑयल का नाम सन फ्लावर वनस्‍पति था और कपड़े धोने के साबुन का नाम 787 ब्रांड था।

आजादी से 3 साल पहले जिन्ना दे दिया था हाशिम को ऑफर
बात 1944 की है, जब मुस्लिम लीग अपने नेता जिन्ना के नक्शेकदम पर चलकर पाकिस्तान की डिमांगड कर रही थी। वहीं जिन्ना देश के पढ़े लिखे और अमीर मुस्लिमों को जोडऩे का काम कर रहे थे। वास्तव में मुस्लिम भी कांग्रेस की तरह एक नेशनल प्लानिंग कमेटी बनाने की तैयारी कर रही थी। कमेटी में शामिल होने के लिए जिन्ना ने हाशिम प्रेमजी को अपने पास बुलाया, लेकिन हाशिम प्रेमजी ने कमेटी में शामिल होने से साफ मना कर दिया। उनका विश्वास भारत और उनके धर्मनिरपेक्ष नेताओं पर था। उन्हें भारत में अपना भविष्य सुरक्षित और सफल लग रहा था।

फिर दिया वित्त मंत्री बनने का ऑफर
हाशिम प्रेजी जैसे कई मुस्लिम कारोबारी और धर्मनिरपेक्षता को मानने वाले लोग बंटवारा नहीं चाहते थे। उसके बाद भी पाकिस्तान अलग देश बन गया। अब जिन्ना के सामने पाकिस्तान को विकसित देश बनाने की चिंता थी। साथ ही यह भी चिंता थी कि किस तरह से कारोबारियों को पाकिस्तान की इकोनॉमी के साथ जोड़ा जाए। इसके लिए उन्हें विजिनरी कारोबारियों की जरुरत थी। जिन्ना को एक बार फिर से भारत में अपना भविष्य संवार रहे अजीम प्रेमजी की याद आई। जिन्ना ने हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनाने को कहा। इस बार भी हाशिम ने देशभक्ति और धर्मनिरपेक्ष होने का परिचय देते हुए जिन्ना का ऑफर ठुकरा दिया।

बेटे ने साबित किया पिता के फैसले को सही
हाशिम प्रेमजी पाकिस्तान की राजनीति के शिखर पर पहुंच सकते थे, लेकिन उनकी यह कुर्बानी देश की बेहतरी के लिए कितना काम करेगी, उस वक्त तो हाशिम प्रेमजी को भी नहीं पता होगा। पाकिस्तान का गठन हो चुका था। जिसके बाद पाकिस्तान भारत के साथ युद्घ में उलझा, बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हुआ। वहीं हाशिम प्रेम जी भी चिर निंद्रा में चले गए। अब बारी उनके बेटे अजीम प्रेम जी थी। अजीम ने अपने पिता के फैसले को सही मायनों में साबित किया। कंपनी को आगे बढ़ाया और विप्रो नाम की आईटी कंपनी खोली। आज देश के दूसरे सबसे अमीन व्यक्ति और परिवार है।

अजीम प्रेम जी की संपत्ति
ब्लूमबर्ग और फोब्र्स की लिस्ट में अजीम प्रेमजी का नाम सुनना अब आदत बन गई है। अगर अजीम प्रेमजी की दौलत के बारे में बात करें तो उनके पास करीब 18 अरब डॉलर की संपत्ति हैं। मौजूदा समय में मुकेश अंबानी देश के सबसे धनवान व्यक्ति हैं। जिनकी कुल नेटवर्थ करीब 48 अरब डॉलर है। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि अजीम प्रेमजी देश के नंबर-1 अमीर भी रह चुके हैं।