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Jet Airways अब नहीं भर पाएगी उड़ान, बैंकों ने भी छोड़ा साथ

Jet Airways को NCLT में भेजने का हुआ फैसला बैंक एयरलाइन को फ‍िर से खड़ा करने में हुए नाकाम सोमवार को हुई बैठक में लिया गया फैसला

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जेट एयरवेज पर SBI प्रमुख ने दी जानकारी, कहा - सप्ताह भर में साफ हो जाएगी तस्वीर

नई दिल्ली।जेट एयरवेज ( Jet Airways ) के दोबारा उड़ान भरने की उम्‍मीद पर एक बार फिर पानी फिर गया है। भारतीय स्टेट बैंक ( SBI ) की अगुवाई में बैंकों की ओर से जेट को खड़ा करने की फिर से कोशिश की जा रही थी, लेकिन सोमवार को हुई बैठक के बाद यह कोशिश नाकाम साबित हो गई है। बंद पड़ी इस एयरलाइन में बैकों के करोड़ो रुपए फंसे हुए हैं। बैंकों ने अपने कर्ज के समाधान के लिए इस मामले को दिवाला संहिता के तहत कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण ( NCLT ) में भेजने का फैसला किया है।


कंपनी को बैंकों ने NCLT के पास भेजा

बैकों को अब तक के प्रयास में कर्ज में डूबी इस एयरलाइन को दोबारा खड़ा करने के लिए किसी इकाई से कोई पुख्ता प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। बैंकों की सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। फिलहाल बैंकों को एयरलाइन से 8,500 करोड़ रुपए की वसूली करनी है।


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SBI ने दी जानकारी

एसबीआई ( SBI ) ने बयान में कहा कि बहुत विचार करने के बाद लेंडरों ने फैसला किया है कि दिवाला संहिता के तहत जेट एयरवेज के मामले का निपटान किया जाए क्योंकि मीटिंग के दौरान एयरलाइन के लिए सिर्फ एक बोली ही प्राप्त हुई है।


जेट पर है 8500 करोड़ का कर्ज

जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंकों ने पहले ही निवेशकों को जानकारी देते हुए बताया था कि कंपनी की सेवाओं को एक बार फिर से शुरू करना एक मुश्किल काम है क्योंकि कंपनी के ऊपर करोड़ों रुपए का कर्ज है, जिसके कारण कंपनी की नेगेटिव नेटवर्थ को बदलना बहुत ही मुश्किल है। जेट पर लगभग 8,500 करोड़ रुपए का कर्ज है और इसकी कुल देनदारी 25 हजार करोड़ रुपए है। ज्यादा कर्ज होने के कारण कंपनी की साख को भी काफी नुकसान हुआ है।


17 अप्रैल को बंद की थी उड़ानें

आपको बता दें कि देश की सबसे पुरानी प्राइवेट एयरलाइन ने 17 अप्रैल को अपनी सभी उड़ानें बंद कर दी थीं क्योंकि कंपनी के पास रोज के खर्च के लिए भी पैसे नहीं थे और सभी बैंकों ने कंपनी को कर्ज देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण कंपनी जमीन पर आ गई। कंपनी के बंद हो जाने से लाखों कर्मचारियों पर नौकरी का संकट आ गया। इसके साथ ही कई कर्मचारियों को लंबे समय से कंपनी की ओर से वेतन नहीं मिला था, जिसके कारण सभी कर्मचारियों की जिंदगी संकट में पड़ गई।

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