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एजीआर मामले में टेलीकॉम कंपनियों को एक और झटका, अब देने ही होंगे पैसे

सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की पुनर्विचार याचिका को किया खारिज टेलीकॉम कंपनियों को चुकाने हैं 92 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया दूरसंचार विभाग ने कंपनियों पर किया है 1.33 लाख करोड़ रुपए के बकाए का दावा

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Supreme Court

SC dismisses review petitions by telecom companies about AGR case

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू ( Adjusted Gross Revenue ) के मामले में टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका दिया है। एजीआर मामले को लेकर दायर की गई पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई है। अब टेलीकॉम कंपनियों वोडाफोन, आईडिया और भारती एयरटेल आदि को एजीआर के 92 हजार करोड़ रुपए चुकाने ही पड़ेंगे। टेलीकॉम कंपनियों की ओर से 24 अक्टूबर के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। कंपनियों ने याचिका में जुर्माना, ब्याज और जुर्माने पर लगाए गए ब्याज पर छूट देने की गुजारिश की थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार 23 जनवरी तक टेलीकॉम कंपनियों को बकाया चुकाना होगा।

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कोर्ट ने यह दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले वाले आदेश में कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों को 92 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए का बकाया और लाइसेंस फीस केंद्र सरकार को चुकानी होगी। टेलीकॉम डिपार्टमेंट की याचिका मंजूर करते हुए कोर्ट ने सभी देनदार कंपनियों तीन महीने का समय दिया था। कोर्ट के अनुसार एजीआर में लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग के साथ अन्य आय भी शामिल की गई हैं। इसमें कैपिटल एसेस्ट की बिक्री पर लाभ और बीमा क्लेम एजीआर का हिस्सा नहीं रखे गए हैं।

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टेलीकॉम कंपनियों का दावा
आपको बता दें कि टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने भारती एयरटेल, वोडाफोन आईडिया, आरकॉम आदि कंपनियों पर लगभग 1.33 लाख करोड़ रुपए के बकाए का दावा किया है। जिसमें लाइसेंस शुल्क के तौर पर 92000 करोड़, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में 41000 करोड़ शामिल हैं। टेलीकॉम कंपनियों ने इसके लिए 6 महीने का समय मांगा था। सरकार द्वारा टेलीकॉम कंपनियों द्वारा देय लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क की गणना एजीआर यानी समायोजित सकल राजस्व के फीसदी के रूप में की जाती है।