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दुनिया के सबसे बड़े साइबर हमले से बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके, एेसे पता लगेगा आप हो गए हैं शिकार

इस साइबर हमले को रैन्समवेयर का अब तक का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। इसके जरिए खासतौर से विन्डोज आधारित कंम्यूटर प्रणाली को अपना शिकार बनाया जा रहा है।

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Abhishek Pareek

May 15, 2017

भारत समेत दुनियाभर के करीब 100 देशों में शुक्रवार को 'वाना क्राई रैन्समवेयर' के नाम से हुए साइबर हमले के बाद आगे इस तरह के और हमलों की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए देश की 'कंप्यूटर आपदा मोचन' टीम (आईसीईआरटी) ने लोगों को इनसे बचाव के तरीके सुझाते हुए हैकरों द्वारा मांगी जा रही फिरौती की धमकियों से डर कर उनके जाल में नहीं फंसने की सलाह दी है।

इस साइबर हमले को रैन्समवेयर का अब तक का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। इसके जरिए खासतौर से विन्डोज आधारित कंम्यूटर प्रणाली को अपना शिकार बनाया जा रहा है। हैकर इसके जरिए कंप्यूटर के पासवर्ड को लॉक कर देते हैं और फिर उसे खोलने के लिए बिट क्वाइन या फिर डॉलर में फिरौती की मांग करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत काम करने वाली विशेषज्ञों की टीम 'आईसीईआरटी' की ओर से आज लोगों और कंपनियों को ऐसे साइबर हमले से बचने के कुछ उपायों की जानकारी दी गई और कहा गया कि यदि ऐसा कुछ भी हो तो इसकी जानकारी तुरंत स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचाई जाएं।

बचाव के तरीकों में कंप्यूटरों में एंटी वायरस साफ्टवेयर के साथ ही माइक्रोसाफ्ट कंपनी की ओर से उपलब्ध कराए गए सुरक्षा पैच लगाने और संदिग्ध ईमेल संदेशों को खोलने और उनके साथ अटैच की गई फाइलों को डाउनलोड करते वक्त पूरी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।आईसीईआरटी के अनुसार फिलहाल रेन्समवेयर के सात संस्करणों का पता लग चुका है। आर्इसीईआरटी की स्वच्छता केन्द्र वेबसाइट पर इन संस्करणों का पता लगाने के लिए एक साफ्टवेयर उपलब्ध कराया गया है। कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वालों को सलाह दी जाती है कि वे वेबसाइट पर जाकर इस साफ्टवेयर को अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड कर लें। यह मुफ्त उपलब्ध है। यह साफ्टवेयर कंप्यूटर प्रणाली में मौजूद किसी भी तरह के वायरस या गड़बड़ी पैदा करने वाले किसी साफ्टवेयर को तुरंत खत्म कर देगा।

एेसे पता लगेगा आप हो गए हैं साइबर हमले के शिकार

आईसीईआरटी का कहना है कि अगर यूजर उसके द्वारा उपलब्ध कराए गए इस साफ्टवेयर टूल को किसी कारण डाउनलोड नहीं कर पाते तो इसका यह मतलब होगा कि उनका कंप्यूटर वानाक्राई का शिकार हो चुका है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि उस कंप्यूटर को अगर वह लैन सिस्टम से जुड़ा है तो फौरन अलग कर दिया जाए अन्यथा अन्य कंप्यूटरों के भी उससे प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाएगा। विशेषज्ञों ने कहा है कि आईसीईआरटी की वेबसाइट पर मालवेयर हटाने के कुछ और टूल भी उपलब्ध कराए गए हैं। यूजर उसका भी इस्तेमाल करने देख सकते हैं। उन्होंने सलाह दी है कि अगर वानाक्राई की वजह से कंप्यूटर के डेटा प्रभावित हुए हैं तो उन्हें हटाएं नहीं बल्कि वैसे ही रहने दे। इन डेटा को दोबारा से डिसाइफर किए जाने की कोशिश की जा सकती है।

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भारत बन सकता है आसान शिकार

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के ऐसे साइबर हमलों का आसान शिकार बनने की आशंका इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि क्योंकि यहां बड़ी संख्या में सरकारी संस्थाएं और लोग विंडोज के पुराने आैर आउटडेटेड संस्करण का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा देश में नकली सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।

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आंध्रप्रदेश में सामने आए मामले

आंध्रप्रदेश में चार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां, दो रिटेलर्स, दो बैंक और कुछ अन्य कंपनियां वानाक्राई रैन्समवेयर का शिकार हो चुकी हैं। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि यह कोई ज्यादा चिंता का विषय नहीं है। सरकार नजर रखे हुए है और सभी तरह के एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। सरकार का इनफारमेटिक सेंटर इससे अछूता है।

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